Sorting and Grading of fruits and vegetables for increasing the income of farmers.

फलों एवं सब्जियों में गुणवत्ता की श्रेणी को मापने के लिए उनकी छंटाई एवं वर्गीकरण किया जाता है। यह उनकी उपयोगिता एवं मूल्यवर्धन को स्थापित करने में मदद करता है। छंटाई एवं वर्गीकरण ताजे फलों एवं सब्जियों में बाजारीकरण के लिए एक बहुमूल्य साधन है। यदि कि‍सान अपने कृषि‍ उत्पाद का पंजीकरण करवाना चाहता हो तो भी शुद्ध वर्गीकरण मापक की आवश्यकता होती है। 

कृषि उत्पाद वर्गीकरण एवं विपणन एक्ट 1937 योजना के अन्तर्गत डाइरेक्टोरेट आफ मार्केटिंग एण्ड इन्सपेक्सन (डीएमआई) भारत मेंं कृषि उत्पाद के वर्गीकरण का प्रमाणीकरण करता हैं

छंटाई एवं वर्गीककरण का महत्व

  • छंटाई एवं वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य उत्‍पाद  को विभिन्न वर्गों जैसे ए, बी और सी इत्यादि में पृथक करना है।
  • अत्याधिक परिपक्व फल एव सब्जियाँ को  खाद्य प्रसंस्करण के लिए छटांई करना।
  • जो फल एव सब्जियाँ मनुष्य उपयोग के लिए योग्य नही हैं, उनका प्रयोग पशु-आहार के लिए पृथक करना है।
  • संदर आकार व रगं रूप के फलों एवं सब्जियों को अलग करके अधि‍क कीमत पर बेचा जा सकता है।
  • पूर्ण पक चुके फलों एवं सब्जियों को अलग करके थोडी कम कीमत पर बेचकर उनके खराब होने से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
  • छंटाई एवं वर्गीकरण के लिए फलों एवं सब्जियों को प्राथमिक विशेषतायें जैसे रंग, आकार, पकाव इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।

छंटाई एवं वर्गीककरण करना

छंटाई एवं वर्गीकरण को अक्सर एक जैसे अर्थ के साथ प्रयोग कर लिया जाता है। लेकिन दोनों शब्दों का अर्थ एक दुसरे से अलग होते है। छंटाई का अर्थ कृषि पैदावार को अलग ज्ञानेन्द्रिय गुणवत्ता जैसे धब्बा, कालापन, घावयुक्त और अनियमित आकार के आधार पर श्रेणीबद्ध करना है जबकि वर्गीकरण को भार एवं परिमाण के आधार पर किया जाता है।

नर्म ओर सरस फलों का श्रेणीकरण हांथों द्वारा किया जाता है।

सरस फल, आलूबुखारा, चेरी और जैतुन के पूरे फलों का श्रेणीकरण किया जाता है, जबकि आडू, खुबानी, पाशपाती और आम इत्यादि को साधारणतः अर्ध भाग या फांकों के बाद श्रेणीकरण किया जाता है।

विकसित देशों में फलों का श्रेणीकरण बेलन या केबल श्रेणित्र द्वारा किया जाता है।

कुछ फल, जैसे सेब और नारंगी का श्रेणीकरण वजन के आधर पर किया जाता है। पहले भारी फल और अंत में हल्के भार वाले फल अलग कर लिए जाते हैं।

छंटाई एवं वर्गीकरण से लाभ

  1. यह फल एवं सब्जियों को उगाने, खरीदने एवं खानेवालों के बीच सार्वजनिक भाषा को प्रदान करता है।
  2. यह खरीदने एवं बेचने वालों के बीच होने वाले झगड़ें या बहस को कम करता है।
  3. प्रमाणित की हुई श्रेणी, फलों एवं सब्जियों के मुल्य स्थापना एवं प्रचार प्रसार के आधार को बनाता है।
  4. यह बिना किसी वैयक्तिक चुनाव के फलों एवं सब्जियों के बाजारीकरण को उन्नति प्रदान करता है।
  5. यह ताजे फल एवं सब्जियों के बाजारीकरण को उगाने एवं अन्य मध्यस्थ लोगों को सहायता प्रदान करता है।
  6. अच्छी गुणवत्ता वाले फल एवं सब्जियों को मुल्य प्राप्त के आधार का काम करता है।
  7. विभिन्न प्रकार के बाजार को मुल्य एवं गुणवत्ता के बीज सही सम्बन्ध को स्थापिक करता है।
  8. छंटाई एवं वर्गीकरण एक निश्चित हिस्सा एवं आकार देता है जिससे पोटली बनाने एवं स्थानांतर में सहायता होती है।
  9. थोकविक्रय बाजारीकरण के समय दुबारा छंटाई एवं श्रेणीकरण करने से बचाता है।
  10. छंटाई एवं वर्गीकरण किसी विशेष फल एवं सब्जी की जाति के विपणन का विकास करता है।

फल एवं सब्जियों का प्रमाणिकरण

भारत में विपणन और निरीक्षण निदेशालय (Directorate of Marketing and inspection), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक अग्रणी संगठन है जो कृषि वस्तुओं या इससे संबधित उत्पाद के वर्गीकरण का प्रमाणीकरण करता हैं। डी.एम.आई. कृषि उत्पाद वर्गीकरण एवं विपणन एक्ट 1937 योजना के अन्तर्गत आता हैं। कुछ फल एवं सब्जियों की प्रमाणित श्रेणी इस प्रकार है।

संतंरा श्रेणी (एन. आर. सी.सी., नागपुर)  अतिरक्ति बड़ा  बड़ा  मध्यम  छोटा
    8.5 - 7.5 से.मी 7.49-6.5 से.मी 6.49 - 5.5 से.मी
पत्तागोभी और फूलगोभी (डी.एम.आई., 1997)   2 किलो से बड़ा 1-2 किलो 1 किलो से कम
आलू (सी.पी.आर.आई., शिमला) 75 ग्राम से ज्यादा 70-75 ग्राम 25-50 ग्राम 25 ग्राम से कम
आलू ((एन.आर.सी.सी, नागपुर), व्यास के अनुसार  अतिरिक्त विशेष  विशेष    
लम्बी जाति  41-49 मिमी. 29-83 मि.मी.    
गोल जाति 45 मि.मी 32 मि.मी    
आम (दसहरी) (डी.एम.आई)  बहुत अच्छा  अच्छा  सामान्य  खराब
   200 ग्राम से ज्यादा 171-200 ग्राम 131-170 ग्राम 130 ग्राम से कम
नासपाती (डी.एम.आई.)  ‘ए’ श्रेणी  ‘बी’ श्रेणी   ‘सी’ श्रेणी   ‘डी’ श्रेणी
  1500 - 1800 ग्राम  1100 - 1500 ग्राम  900 - 1100 ग्राम  700 - 900 ग्राम

नि‍षकर्ष:
फलों एवं सब्जियों की छंटाई एवं वर्गीकरण का मुख्य उदेश्य उसी उत्पाद से अधिक से अधिक आय कमाना है।

यह अकसर देखा जाता है कि जब कोई किसान अपने फलों एवं सब्जियों को मंडी में बेचने के लिए ले जाता है तो खरीदने करने वाला व्यक्ति ताजे फलों एवं सब्जियों में पड़े खराब, बेमेल आकार, बेरंग और छोटे आकार के कारण , फल एवं सब्जियों के मूल्य को कम करके आकता है जिससे किसान को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

यदि किसान पूर्व में ही फलों एवं सब्जियों की छटाई एवं वर्गीकरण करके मंडी में ले जाए तो किसान को उसी उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकेगा।


Authors

डा. रेनू बाला (गृह विज्ञान) एवं डा. डा. वी.के. सिंह ( कृषि अभियान्त्रिकी ),

चौ. चरण सिंह  हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार

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