Mushroom production, product and dishes.

मशरूम विशेष प्रकार की फफूंदों का फलनकाय है, जिसे फुटु, छत्तरी, भिभौरा, छाती, कुकुरमुत्ता, ढिगरी आदि नामों से जाना जाता है, जो पौष्टिक, रोगरोधक, स्वादिष्ट तथा विशेष महक के कारण आधुनिक युग का एक महत्वपूर्ण खाद्य आहार है। बिना पत्तियों के, बिना कलिका व बिना फूल के भी फल बनाने की अदभूत क्षमता रखता है। 

मशरूम का प्रयोग भोजन के रूप में, टॉनिक के रूप में व औषधि के रूप में होता है। भारत जैसे देश में जहॉ की अधिकांश आबादी शाकाहारी है उस स्थिति में खुम्बी का महत्व पोषण की दृष्टि से और भी अधिक बढ़ जाता है।

मौसम की अनुकूलता एवं सघन वनों के कारण भारतवर्ष में मशरूम खेतों में, मेड़ों में, वनों में प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार के माध्यमों में निकलते है। ग्रामीण जन खाद्य मशरूम का बड़े चाव से उपयोग करते है। आज अनेक प्रकार के मशरूम को न केवल प्रयोगशाला में उगाया जा रहा है, वरन उनकी व्यावसायिक खेती कर उनका निर्यात एवं आयात कर कृषि अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।

मशरूम का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। व्यवसायिक रूप से तीन प्रकार की खुम्बी उगाई जाती है। बटन खुम्बी, ढींगरी खुम्बी तथा धान पुआल या पैडी स्ट्रा खुम्बी। व्यावसायिक स्तर पर उत्पादित आयस्टर एवं पैरा मशरूम की अधिक मांग है।

मशरूम की व्यावसायिक खेती:

खेती के लिए उपयुक्त समय

भारत में मशरूम उगाने का उपयुक्त समय जून से मार्च का महीना हैं। इन 10 महीनो में दो फसलें उगाई जा सकती हैं। खुम्बी की फसल के लिए आरम्भ में 22 से 26 डिग्री सेंटीग्रेड ताप की आवश्यकता होती है। इस ताप पर कवक जाल बहुत तेजी से बढता है। बाद मे इसके लिए 14 से 18 डिग्री ताप ही उपयुक्त रहता है।

इससें कम तापमान पर फलनकाय की बढवार बहुत धीमी हो जाती है। 18 डिग्री से अधिक तापमान भी खुम्बी के लिए हानिकारक होता है।

मशरूम उत्पादन तकनीक

आयस्टर मशरूम

  • 5 किलोग्राम पुआल को छोटे-छोटे टुकडो में काट लेते है। ध्यान दें टुकड़ा न बहुत छोटा न बहुत बड़ा रहे। 1-2 इंच का पैरा कुट्टी आदर्श माना जाता है।
  • किसी टब अथवा टंकी में 50 लीटर पानी भर कर पैरा कुट्टी को 8-10 घंटे अथवा रात भर के लिए फूलने के लिए छोड़ देते है।
  • रात भर पैरा कुट्टी को भिगोने के बाद इसका पानी निथार कर 20-25 लीटर खौलता हुआ पानी डाल कर 20-30 मिनट रख देते है।
  • अब इसका गर्म पानी निथार कर पैरा कुट्टी को ठण्डा करते है। ध्यान दे पुआल न ज्यादा गीला न ही ज्यादा सुखा रहे। 2-3 घंटे बाद पैरा कुट्टी को हाथ से दबा कर चेक कर ले यदि काफी दबाने पर थोडा पानी निकल रहा है अथवा पुआल में 65 प्रतिशत नमी है तो ये मशरूम उत्पादन के लिए आदर्श है।
  • उपचारित पैरा कुट्टी को परत विधि से बिजाई कर ;परत दर परत पैरा कुट्टी के बीच में बीज रोप करद्ध थैली में भरते है। बीज मिले पैरा कुट्टी की थैलियो को नम एवं अंधेरे कमरे में सफेदी आने तक 15-20 दिनो के लिए रखते है।
  • 15-20 दिनों के बाद दूध की तरह सफेद हो जाने पर थैलियो को ब्लेड से काट देते है। थैली काटने के बाद रोज उसमें 3-4 बार पानी डालते है।
  • 4-5 दिनों के बाद मशरूम कलिकाओें का विकास होने लगता है।

पैरा मशरूम

  • पैरा से 500 ग्राम के 22 बण्डल तैयार करते है।
  • बण्डलो को 8-10 घंटे 5 प्रतिशत कैल्सियम कार्बोनेट के घोल में डुबाकर रखते है।
  • अब इसका पानी निथार कर नमी 65 प्रतिशत तक कम कर लेते है। ध्यान दे पुआल न ज्यादा गीला न ही ज्यादा सुखा रहे।
  • 5 बण्डलो की 4 परत में शैया तैयार कर प्रत्येक परत के किनारे में बिजाई करते है।
  • बीज के उपर चुटकी भर बेसन का भुरकाव करते है।
  • इस प्रकार 20 बण्डलो की 4 परत ;प्रत्येक परत 5 बण्डलद्ध की शैया तैयार कर दो बण्डल पैरा को खोलकर शैया के ऊपर बिछाते है।
  • शैया को एक पारदर्शी पालीथीन सीट से 10-12 दिन तक ढँक कर रखते है।
  • शैया पर 10-12 दिन के बाद मशरूम कलिकाओें का विकास होने लगता है।
  • 2-3 दिन के बाद अण्डे वाली अवस्था में मशरूम की तुड़ाई की जाती है।

जब मशरुम का फल वाला हिस्सा विकसित होने लगता है इसे तब काट लिया जाता है। 8 से 10 सप्ताह के एक फसल चक्र के दौरान प्रति वर्ग मीटर में 10 किलोग्राम मशरुम पैदा होता है। काटे गए मशरुम को बाजार में सप्लाई के लिए पैक किया जा सकता है।

मशरूम के पोषक तत्व

मशरुम में शरीर के लिए आवश्यक सभी तत्व पूर्ण मात्रा में पाये जाते हैं। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, लवण आदि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं । इनमें विटामिन-बी की मात्रा अन्य खाद्य पदार्थों से बहुत अधिक होती है। सूखा रोग दूर भगाने वाला विटामिन-डी भी इसमें पाया जाता है। अन्य प्रचलित खाद्य पदार्थों से कहीं अधिक कैलोरी इनकी गुच्छियों से प्राप्त होती है।

मशरूम में लगभग 22-35 प्रतिशत उच्च कोटि की प्रोटीन पायी जाती है जिसकी पाचन शक्ति 60-70 प्रतिशत तक होती है। मशरूम की प्रोटीन में शरीर के लिये आवश्यक सभी अमीनो अम्ल, मेथियोनिन, ल्यूसिन, आइसोल्यूसिन, लाइसिन, थ्रीमिन, ट्रिप्टोफेन, वैलीन, हिस्टीडिन और आर्जीनिन आदि की प्राप्ति हो जाती है जो दालों (शाकाहार) आदि में प्रचुर मात्रा में नहीं पाये जाते हैं ।

मशरूम में 4-5 प्रतिशत कार्बोहाइडे्टस पाये जाते हैं जिसमें मैनीटाल 0.9, हेमीसेलुलोज 0.91, ग्लाइकोजन 0.5 प्रतिशत विशेष रूप से पाया जाता है। मशरूम में वसा न्यून मात्रा में 0.3-0.4 प्रतिशत पाया जाता है तथा आवश्यक वसा अम्ल प्लिनोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। प्रति 100 ग्राम मशरूम से लगभग 35 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

मशरुम खाने के फायदे:

  1. मशरूम में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट हमें हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाता है।
  2. इसको खाने से शरीर में एंटीवाइरल और अन्य प्रोटीन की मात्रा बढती है, जो कि कोशिकाओं को रिपेयर करता है।
  3. यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो कि माइक्रोबियल और अन्य फंगल संक्रमण को ठीक करता है।
  4. यह प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है। इसमें बीटा ग्लूकन और कंजुगेट लीनोलिक एसिड होता है जो कि एक एंटी कार्सिनोजेनिक प्रभाव छोड़ते हैं। यह कैंसर के प्रभाव को कम करते हैं।
  5. मशरूम में हाइ न्यूट्रियेंट्स पाये जाते हैं इसलिये ये दिल के लिये अच्छे होते हैं।
  6. इसमें कुछ तरह के एंजाइम और रेशे पाए जाते हैं जो कि कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करते हैं।
  7. मशरूम वह सब कुछ देगा जो मधुमेह रोगी को चाहिये। इसमें विटामिन, मिनरल और फाइबर होता है। साथ ही इमसें फैट, कार्बोहाइड्रेट और शुगर भी नहीं होती, जो कि मधुमेह रोगी के लिये जानलेवा है। यह शरीर में इन्सुलिन को बनाती है।
  8. इसमें लीन प्रोटीन होता है जो कि वजन घटाने में बडा कारगर होता है। मोटापा कम करने वालों को प्रोटीन डाइट पर रहने को बोला जाता है, जिसमें मशरूम खाना अच्छा माना जाता है।
  9. मशरूम में विटामिन बी होता है जो कि भोजन को ग्लूकोज में बदल कर ऊर्जा पैदा करता है। विटामिन बी 2 और बी 3 इस कार्य के लिये उत्तम हैं।

मशरूम के उत्पाद:

सूखे हुए मशरुम बड़े जायकेदार होते है, बहुत सारे व्यंजनों में एक स्वादिष्ट सामाग्री की तरह इस्तेमाल किये जाते है और इन्हें बहुत लम्बे समय तक इस्तेमाल कर सकते है, यानी कि ये जल्दी से खराब भी नहीं होते है। इन्हें पानी आदि तरल में डाल कर फिर से नम कर सकते है, और फिर इन्हें कई व्यंजनों में इस्तेमाल कर सकते है।

मशरूम आटा:

मशरुम को सुखाने के लिए करीब 1.8 इंच (0.3 सेंटीमीटर) मोटे टुकड़ों में काट ले। इन टुकड़ों को सूखाने में साबुत मशरुम के मुकाबले कम वक्त लगेगा। सुखाने के लिए रैक पर मशरुम को लगा सकते है, या फिर उन्हें रसोई धागे से बाँध कर लटका सकते है।

सुखाने के लिए ऐसी जगह शामिल है जहॉ धुप हो जैसे खिड़की की स्लेब, या समतल छत, जहाँ पर हवा का प्रवाह हो। मशरूम को सुखाकर बारीक पीसकर आटा बना लेते है।

 मशरूम के व्यंजन

मशरूम पापड़:

सामग्री:

  • मशरूम का आटा        -    250 ग्राम
  • मूंग का आटा           -    500 ग्राम
  • उडद का आटा          -    250 ग्राम
  • खडा जीरा              -   एक चम्मच
  • नमक                 -    स्वादानुसार
  • काली मिर्च पाउडर       -    एक चम्मच
  • खाने का तेल           -    50 ग्राम

विधि:

मशरूम पापड बनाने के लिये मशरूम को सुखाकर बारीक पीसकर आटा बना लेते है। इस आटे में मूंग-उडद का आटा या दोनो को आधा आधा अनुपात में लेकर मशरूम के आटे के साथ 4:1 के अनुपात मे मिलाकर पापड बनाने के लिये उपयोग करते है।

उपर्युक्त सामग्री को मिलाकर आटे को पानी डालकर गुथ लेते है। अब इससे छोटे-छोटे गोली बनाकर तेल लगाकर पतला बेल कर छत मे सुखा लेते है। इसे वायुरोधी डिब्बे में रख कर लम्बे समय तक इस्तेमाल कर सकते है। 

मशरूम बडी़:

सामग्री:

  • मशरूम का आटा        -   250 ग्राम
  • उडद की दाल           -   750 ग्राम

विधि:

मशरूम बडी बनाने के लिये मशरूम को सुखाकर बारीक पीसकर आटा बना लेते है। इस आटे में उडद की दाल की पीठी 1 रू 4 के अनुपात मे मिलाकर बडी¬़ बनाने के लिये उपयोग करते है। बडी बनाने के लिये मशरूम के आटे के स्थान पर ताजे मशरूम के छोटे-छोटे टुकडे काटकर भी उपयोग किया जा सकता है।

उड़द को 8-10 घंटे तक या रात भर के लिए पानी में भीगा कर सुबह पानी निथार कर पीस लेते है और इसमें मशरूम का आटा डालकर फेंट लेते है। अब इससे छोटी-छोटी बडी बनाकर धूप में 2-3 दिन तक सुखा लेते है। इसे वायुरोधी डिब्बे में रख कर लम्बे समय तक इस्तेमाल कर सकते है।

ताजे मशरूम के स्वादिष्ट व्यंजन:

मशरूम पकौडा

सामग्री:

  • मशरूम    -  150 ग्राम
  • बेसन      -  150 ग्राम
  • प्याज      -  50 ग्राम
  • हरी मिर्च   -  3 नग
  • हरा धनिय  -  20 ग्राम
  • जीरा       -  10 ग्राम
  • नमक      -  स्वादानुसार
  • तेल        -  आवश्यकतानुसार

विधि:

मशरूम को धोकर निथार लें। मशरूम, हरी मिर्च, हरा धनिया और प्याज को बारीक काट लें। बेसन में नमक, कटी मशरूम, हरी मिर्च, हरा धनिया और प्याज डालकर फेट लें। तेल गरम कर भजिए डालकर लाल होते तक तल लें।

मशरूम पराठा

सामग्री:

  • मशरूम      -  200 ग्राम
  • गेहूं आटा    -  150 ग्राम
  • नमक       -  स्वादानुसार
  • हरी मिर्च    -   3 नग
  • हरा धनिया  -   25 ग्राम
  • तेल        -   आवश्यकतानुसार
  • अंजवाइन    -   5 ग्राम

विधि:  

मशरूम को धोकर निथार लें। मशरूम, हरी मिर्च और हरा धनिया को बारिक काट लें। गेहूं आटा में नमक, कटी मशरूम, हरी मिर्च और हरा धनिया डालकर पानी से गूंथ लें। तवा गरम कर पराठा बनाकर सेक लें।

भरवां मशरूम शिमला मिर्च

सामग्री:

  • मशरूम          -   200 ग्राम
  • उबला आलू      -    2 बडा
  • नमक           -    स्वादानुसार
  • शिमला मिर्च      -   3 नग
  • हरा धनिया       -   20 ग्राम
  • तेल             -   आवश्यकतानुसार
  • गरम मशाला      -   5 ग्राम
  • लहसुन           -    5-6 पीस
  • प्याज            -   50 ग्राम     

विधि:

मशरूम को धोकर निथार लें। शिमला मिर्च की डंडी के चारो ओर से काट लें। मशरूम, प्याज, हरा धनिया और आलू को बारीक काट लें। बारीक कटे प्याज को गुलाबी होते तक तल लें।

इसमें बारीक कटे मशरूम, आलू, हरी मिर्च, लहसुन और हरा धनिया डालकर धीमी आंच में पकायें। अब इसमें गरम मसाला डालकर भुनें। इस मिश्रण को शिमला मिर्च में भरकर धीमी आंच में तल लें।

मशरूम का आचार

सामग्री:

  • ताजा मशरूम           -    250 ग्राम
  • जीरा का पाउडर        -    एक चम्मच
  • नमक                 -   स्वादानुसार
  • मेथी  का पाउडर       -   एक चम्मच
  • धनिया का पाउडर      -   एक चम्मच
  • सरसों का पाउडर      -    एक चम्मच
  • हरा मिर्च             -   पांच-सात पीस
  • सिरका               -    50 ग्राम
  • सरसों तेल            -    50 ग्राम     

 

विधि:

ताजे मशरूम को साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। फिर उसका पानी निचोड़ कर उसे अपने मन मुताबिक काट ले। फिर दो मिनट के लिए उसे खौलते पानी में उपचारित करें। फिर पांच-छह घंटे तक उसे सुखाएं। स्टील के बर्तन में धीमी आंच पर मशरूम एवं हरी मिर्च को भून ले।

इसके उपरांत सभी मशाला को अच्छी तरह मिला लें। ठंडा होने पर उसे डब्बा में भंडारित कर रख ले। उसे बेहतर बनाए रखने के लिए समय-समय पर धूप दिखाएं।


Authors:

संगीता चंद्राकर, पुष्पा परिहार एवं युगल किशोर लोधी

उद्यान विज्ञान विभाग,

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषक नगर, रायपुर (छ.ग.)

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