Organic manure and its benefits to agriculture

जैविक खाद का अभिप्राय उन सभी कार्बनिक पदार्थों से है जो कि सड़ने या गलने पर जीवांश पदार्थ या कार्बनिक पदार्थ पैदा करती है। इसे हम कम्पोस्ट खाद भी कहते हैं। इनमें मुख्यतः वनस्पति सामग्री और पशुओं का विछावन, गोबर एवं मल मूत्र होता है। इसलिए इनमें वे सभी पोषक तत्व उपस्थित रहते हैं जो की पौधों के वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं।

जैविक खाद फसल के लिए बहुत ही उत्तम खाद मानी जाती है। जैविक खाद या कम्पोस्ट खाद को मुखयतः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :

  1. फास्को कम्पोस्ट
  2. इनरिच्ड कम्पोस्ट एवं
  3. वर्मी कम्पोस्ट

फास्को कम्पोस्ट

इस खाद में फास्फोरस (स्फुर) की मात्रा अन्य कम्पोस्ट खादों की अपेक्षा ज्यादा होता है। फास्को कम्पोस्ट में 3-7% फास्फोरस (स्फुर) होता है जबकि साध कम्पोस्ट में यह अधिकतम 1.0% तक पाया जाता है।

फास्को कम्पोस्ट बनाने की विधि

यह विधि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञानं एवं कृषि रसायन द्वारा विकसित एवं आनुशंसित है। इस विधि द्वारा फास्को कम्पोस्ट बनाने का तरीका बहुत ही आसान एवं सरल है।

  1. सबसे पहले २ मीटर लम्बा, 1 मीटर चौड़ा, 1 मीटर गहरा गड्ढा बनाएं। आवश्यकतानुसार एक या एक से अधिक गड्ढे बना सकते हैं। यह गड्ढा कच्चा या पक्का किसी भी तरह का हो सकता है।
  2. सामग्री: खरपतवार, कूड़ा-कच्चा, फसलों के अवशेष, जलकुम्भी, थेथर, पुटूस, करंज या अन्य जगंली पौधों की मुलायम पत्तियां, पुआल इत्यादि। इन सभी सामग्रियों को निम्न अनूपात में सूखे वजन के अनुसार मिला कर गड्ढों में भरें। कार्बनिक कचरा: 8, गोबर- 1, मिट्टी 0.5, कम्पोस्ट 0.5
  3. खाद बाने के लिए उपलब्ध सामग्री से कई परत बनाकर एक ही साथ भरें तथा 80-100% नमी (पानी मिलाकर) बनाएं रखें।
  4. उपलब्ध सामग्री से भरे गढ्ढे में २.5 किलोग्राम नेत्रजन प्रतिटन के हिसाब से यूरिया तथा 5 किलोग्राम रॉक फास्फेट या सिंगल सुपर फास्फेट डालें।
  5. गोबर, मिट्टी, कम्पोस्ट एवं रॉक फास्फेट तथा यूरिया को एक बर्तन या ड्रम में डालकर 80-100 लीटर पानी से घोल बनाएं। इस घोल को गड्ढे में 15-20 से.मी. मोटी अवशिष्ट (सामग्री) का परत बनाकर उसके उपर छिड़काव् करें। यह क्रिया गढ्ढे भरने तक करें। जबतक उसकी ऊंचाई जमीन की सतह से 30 से. मी. ऊँची न हो जाए।
  6. उपरोक्त विधि से गड्ढे को भरकर उपर से बारीक मिट्टी की पतली परत (5 से.मी) से गड्ढे को ढंक दें अनुर अंत में गोबर से लेपकर गड्ढे को बंद कर दें।
  7. अवशिष्ट (सामग्री) की पलटाई 15, 30, तथा 45 दिनों के अतराल पर करें तथा उम्सने आवश्यकतानुसार पानी डालकर नमी बनाएँ रखें।
  8. 3-4 महीने के बाद देखेंगे कि उत्तंम कोटि की भुरभुरी खाद तैयार हो गई है। इस खाद को सूखे वजन के अनुसार इसका प्रयोग फसलों की बुआई के समय सुपर फास्फेट खाद की जगह पर कर सकते हैं। इस फास्को कम्पोस्ट खाद का प्रयोग प्रकार के फसलों में किया जा सकता है।

वर्मी कम्पोस्ट (केचुआ खाद)

जैसा कि नाम से स्पष्ट है की केंचुआ द्वारा बनाया गया कम्पोस्ट खाद को वर्मी कम्पोस्ट  कहते हैं। साधारण कम्पोस्ट बनाने के लिए इक्कठा की गयी सामग्री में ही केंचुआ डालकर वर्मी कम्पोस्ट  तैयार किया जाता है। इसमें कार्बनिक पदार्थ एवं ह्युम्यस ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।

इस खाद में मुख्य पोषक तत्व के अतिरिक्त दूसरे सूक्ष्म पोषक तत्व कुछ हॉर्मोनस एवं इन्जाइस भी पाए जाते हैं जो पौधों के वृद्धि के लिए लाभदायक हैं । वर्मी कम्पोस्टिंग में स्थानीय केंचुआ के किस्म का प्रयोग करें। यहाँ छोटानागपुर में एसेनिया फोटिडा नामक किस्म पाई जाती है जो यहाँ के वातावरण के लिए उपयुक्त हैं।

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधि

  1. केंचुआ खाद बनाने के लिए सबसे पहले ऐसे स्थान का चुनाव करें, जहाँ धूप नहीं आई हो, लेकिन वह स्थान हवादार हो। ऐसे स्थान पर २ मीटर लम्बा, 1 मीटर चौड़ा जगह के चारों ओर मेड बना लें जिससे कम्पोस्टिंग पदार्थ इधर-इधर बेकार न हो।
  2. सबसे पहले नीचे 6 इंच का परत आधा सड़ा मिला कर फैला लें जिससे केंचुआ को प्रारंभिक अवस्था में भोजन मिल सके। इसके बाद 40 केंचुआ प्रति वर्ग फीट के हिसाब से उसमें डाल दें।
  3. उसके बाद घर एवं रसोई घर का अवशेष आदि का एक परत डालें जो लगभग 8-10 इंच मोटा हो।
  4. दूसरा परत को डालने के बाद पुआल, सुखी पत्तियां एवं गोबर आदि को आधा सड़ाकर दूसरे परत के ऊपर डालें। प्रत्येक परत के बाद इतना पानी का छिड़काव करें की जिससे परत में नमी हो जाएं।
  5. अन्त में 3-4 इंच मोटा परत गोबर का डालकर बोरा से ढक दें जिससे केंचुआ आसानी से ऊपर नीचे घूम सके प्रकाश के उपस्थिति में केंचुआ का आवागमन कम हो जाता जिससे खाद बनाने में समय लग सकता है इसलिए ढंकना आवश्यक है।
  6. आप देखेगें की 50-60 दिनों में वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार हो जाएगा। सबसे उपर के परत को हटायें तथा उसमें से केंचुआ को चुनकर निकाल लें। इस प्रकार नीचे के परत को छोड़ कर बाकी सारा खाद इक्कठा कर लें छलनी से छानकर केंचुओं को अलग किया जा सकता है। पुनः इस विधि को दुहरायें।

इस प्रकार तैयार वर्मी कम्पोस्ट खाद में पोषक तत्वों की मात्रा निम्नलिखित होती है:

पोषक तत्व प्रतिशत मात्रा
नेत्रजन 0.6-1.2
स्फुर 1.34-2.2
पोटाश 0.4-0.6
कैल्शियम 0.44
मैग्नेशियम 0.15

इनके अलावा इन्जाइम, हारमोंस एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

वर्मी कम्पोस्ट खाद से लाभ

  1. केंचुआ द्वारा तैयार खाद में पोषक तत्वों की मात्रा साधारण कम्पोस्ट की अपेक्षा अधिक होता है।
  2. भूमि के उर्वरता में वृद्धि होती है।
  3. फसलों के उपज में वृद्धि होती है।
  4. इस खाद का प्रयोग मुख्य रूप से फूल के पौधों एवं किचेन गार्डन में किया जा सकता है, जिससे फूल के आकार में वृद्धि होती है।
  5. वर्मी कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से भी में वायु का संचार सुचारू रूप से होता है।
  6. यह खाद भूमि के संरचना एवं भौतिक दशा सुधारने में सहायक होता है।
  7. इसके प्रयोग से भूमि की दशा एवं स्वास्थ्य में सुधार होता है।

वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने में सावधानियां

  1. वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाते समय यह ध्यान रखें कि नमी की कमी न हो। नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकतानुसार पानी का छिड़काव करें।
  2. खाद बनाते समय यह ध्यान रखे कि उनमें ऐसे पदार्थ (सामग्री) का प्रयोग नहीं करें जिसका अपघटन नहीं होता है यह जो पदार्थ सड़ता नहीं है जैसे -प्लास्टिक, लोहा, कांच इत्यादि का प्रयोग नहीं करें।
  3. कम्पोस्ट बेड (ढेर) को ढंक कर रखें।
  4. वर्मी कम्पोस्ट बेड का तापक्रम 35 से.ग्रे. से ज्यादा नहीं होना चाहिए। चींटी एंव मेंढक आदि से केंचुओं को बचाकर रखें।
  5. कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं करें।
  6. खाद बनाने के सामग्री में किसी भी तरह का रासायनिक उर्वरक नहीं मिलावें
  7. कम्पोस्ट बेड के पास पानी नहीं जमने दें।

Authors

डॉ. राकेश गिरी गोस्वामी

व्याख्याता (मृदा विज्ञान विभाग),

पं .किशोरी लाल शुक्ला उधानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र

राजनांदगांव-491441 छत्तीसगढ़

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