Potato genetic resource in Indiaभारत में आलू के आनुवंशिक संसाधन

आलू की उत्पत्ति दक्षिणी पेरू के ऊंचाई वाले इलाकों में 10,000 साल पहले जंगली प्रजाति सोलनम ब्रेविकॉउल से हुई है। आलू, जीनस सोलनम और खंड पेटोटा से संबंधित है जिसमें लगभग 2000 प्रजातियाँ सम्‍मिलित हैं। आलू की वन्य प्रजातियाँ दक्षिण पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका से मध्य अर्जेंटीना और चिली के बीच 2000 से 4000 मीटर की ऊँचाई मौजूद पर हैं।

ऑटो और एलोपॉलीप्लोईडी और अंतर-विशिष्ट संकरण के कारण आलू का वर्गीकरण जटिल है। वर्तमान में चार संवर्धित (क्ल्टीवेटिड) और लगभग 110 वन्य/जंगली कंद- धारक सोलनम प्रजातियां उपलब्ध हैं। आज, आलू 149 देशों में  समुद्र तल से 4000 मीटर की ऊंचाई पर उगाए जाते हैं।

वन्य आलू में प्लोइडी स्तर, डिप्लोइड/ द्विगुणित; 2 एन = 2 एक्स = 24 से हेक्साप्लोइड; 2 एन = 6 एक्स = 72 तक मौजूद हैं जबकि संवर्धित (क्ल्टीवेटिड) आलू में प्लोइडी स्तर, द्विगुणित; 2 एन = 2 एक्स = 24 से पेंटाप्लोइड; 2 एन = 5 एक्स = 60 तक उपलब्ध हैं। प्लोइडी संशोधन से इन प्रजातियों के अंतर्गत और मध्य संकरण संभव है।

भारत में आलू की शुरुआत पुर्तगालियों व्यापारियों या ब्रिटिश मिशनरियों द्वारा सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में की गई थी। समशीतोष्ण उत्पत्ति और लंबे दिन के अनुकूलन के कारण, ये पुर: स्थापित किस्में, नई और विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित नहीं हो सके।

देश में संगठित आलू अनुसंधान और विकास की शुरुआत 1949 में पटना में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान की स्थापना के साथ हुई। वर्तमान में यह संस्थान शिमला पहाड़ियों पर स्थित है।

पौध आनुवांशिक संसाधन किसी भी फसल सुधार कार्यक्रम का आधार है। पौध आनुवंशिक संसाधन खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्ष 2050 तक विश्व की अनुमानित जनसंख्या नौ बिलियन होगी, इसलिए खाद्य और कृषि के लिए पौध आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रित प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है। 

पौध आनुवांशिक संसाधन फसल की उत्पादकता, पोषण, कीट व रोग प्रतिरोधक क्षमता, गैर-पारंपरिक मौसम/ क्षेत्र के लिए प्रजनन और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए प्रजनन की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए विविध और आसानी से उपलब्ध आनुवंशिक संसाधनों का निर्माण करते हैं।

चावल और गेहूं के बाद आलू तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। वर्तमान में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है। भारत में आलू का जीन बैंक एशियाई महाद्वीप में सबसे बड़ा है।

वर्तमान में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला में आलू आनुवांशिक संसाधन जीन बैंक में 4,500 से अधिक 40 देशों से आयात परिग्रहणों का गठन है जिनमें संवर्धित प्रजातियां (सोलेनम ट्यूबरोसम एसएसपी ट्यूबरोसम, सोलेनम ट्यूबरोसम एसएसपी एंडीजीना) और वन्य या अर्ध-वन्य प्रजातियां सम्मिलित हैं।

इस संग्रह का प्रमुख स्रोत अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र, लीमा, पेरू और यूएसए आलू जीन बैंक, स्टर्जन बे, विस्कॉन्सिन है।

जीनोटाइप

संख्या

ट्यूबरोसम

 

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किस्में

62

उन्नत संकर

96

स्वदेशी किस्में

107

सी पी संख्या (विदेशी)

2840

स्वदेशी नमूने

97

एंडीजीना

762

वन्य या अर्ध- वन्य प्रजातियां

540

कुल संख्या

4504

 भारतीय आलू जीन बैंक की निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियाँ हैं

True Potato seed1. जर्मप्‍लाजम संग्रह:

आलू के आनुवांशिक संसाधनों का संग्रह

2. इन-विवो और इन-विट्रो, सत्य आलू बीज और क्रायो-संरक्षण स्थितियों में जर्मप्लाज्म का संरक्षण-

इन-विवो या फील्ड संरक्षण में जर्मप्लाज्म का उनके प्राकृतिक वास के बाहर संरक्षण और रखरखाव शामिल है। यह लंबी अवधि के लिए सभी एलील/ जीनोटाइप को सुरक्षित रूप से संरक्षित करने के लिए अनुकूल है।

कुफरी और जलंधर में फील्ड जीन बैंक में आलू के जर्मप्लाज्म को कंद रूप में संरक्षित रखे जाते हैं। यह विधि विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए अनुकूलता और विभिन्न जैविक/ अजैविक तनावों के लिए प्रतिरोध/ सहिष्णुता के लिए मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करती है।

एंडीजीना और वन्य प्रजातियों को सत्य बीज के रूप में 10-15 डिग्री सेंटीग्रेड में संरक्षित रखा जाता है। उत्तक संवर्धन के तहत आलू के पौधों को 9-24 महीने तक संरक्षित किया जा सकता है।

3. जैविक, अजैविक तनाव और गुणवत्ता मानकों के लिए आनुवंशिक संसाधनों का मूल्यांकन-

इसमें शरद, वसंत ऋतु और खरीफ फसल के मौसम में अनुकूलता, पीछेता झुलसा, वायरस, स्टेम नेक्रोसिस, पाउडर स्कैब, दीमक, माइट, हॉपर बर्न, आलू कंद मोथ, चारकोल रोट, पुटी नेमाटोड, बैक्टीरियल विल्ट, मस्सा, परिपक्वता, कंद निष्क्रियता, भंडारण गुणवत्ता, ठंढ सहिष्णुता, कंद शुष्क पदार्थ, विटामिन सी, लोहा, जस्ता, प्रोटीन, शीत-प्रेरित मिठास, प्रसंस्करण गुण, जल उपयोग दक्षता जैसे गुण शामिल हैं।

व्यावसायिक गुणों के अलावा, जर्मप्लाज्म को रूपात्मक वर्णों जैसे कि कंद त्वचा का रंग, कंद आकार, आंखों की गहराई, कंद गुदा का रंग, फूलों का रंग व सघनता, पराग की उर्वरता आदि के लिए भी विशेषीकरण किया जाता है।

आलू का ऊतक संर्वधन

4. विभिन्न किस्मों के विकास में प्रयोग:

वर्ष 2020 तक केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा 62 विभिन्न आलू किस्मों का विकास किया गया है। इनमें32 प्रतिशत किस्में (25 किस्में) पूर्ण स्वदेशी पितृत्व से, 45.16 प्रतिशत किस्मों (28 किस्में) में एक विदेशी जर्मप्लाज्म और 14.51 प्रतिशत किस्में (9 किस्में) पूर्ण विदेशी पितृत्व से विकसित हैं।

उपलब्ध संग्रह से चार वन्य प्रजातियों का उपयोग पैतृक लाइनों के विकास के लिए किया गया है। इनमें सोलेनम वर्कोसम और सोलेनम माइक्रोडोन्टम का उपयोग पिछेता झुलसा के टिकाऊ समस्तरीय प्रतिरोधकता, सोलनम चेकॉएंस का चारकोल रोट व सोलनम वर्नेई का पुटी नेमाटोड प्रतिरोध के लिए है।

5.  प्रलेखन: 

आनुवंशिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग जैसे अनुसंधान और प्रजनन उद्देश्यों के लिए प्रलेखन आवश्यक तथा अभिन्न अंग है। जर्मप्लाज्म के पासपोर्ट डेटा, रूपात्मक विशेषताओं और विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों के प्रति प्रतिक्रिया कैटलॉग के रूप में प्रकाशित किए जाते हैं। पुनर्प्राप्ति की सुगमता के लिए, संपूर्ण डेटा को कम्प्यूटरीकृत किया गया है।

कुलीन आलू का पंजीकृत आनुवंशिक स्टॉक

भूमि, पारंपरिक किस्मों और वन्य संसाधनों में अनेक अनमोल जर्मप्लाज्म उपलब्द होते हैं जिनमें अद्वितीय गुण जैसे रोग, कीटों और अन्य जैविक और अजैविक तनावों के प्रति सहिष्णुता/प्रतिरोधता होते हैं। लेकिन खराब कृषि-प्रदर्शन के कारण ये वाणिज्यिक खेती के लिए एक किस्म के रूप में प्रयोग नहीं हो सकते हैं।

इन जर्मप्लाज्म को अद्वितीय गुण जैसे शैक्षिक/ अकादमिक, वैज्ञानिक मूल्यों और विशिष्टता के लिए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, नई दिल्ली द्वारा पंजीकृत कर सुरक्षा प्रदान की जाती है।

आलू के 28 आनुवंशिक स्टॉक पंजीकृत हैं जिनमें पिछेता-झुलसा, पुटी नेमाटोड, आलू वायरस के लिए प्रतिरोधकता, अच्छे संयोजन क्षमता, उच्च कंद-शुष्क पदार्थ, कम ऋड़ूसिंग शर्करा, कम शीत-प्रेरित मिठास, उत्तम प्रसंस्करण गुण, सूखा/ड्रॉट-सहिष्णुता, बहु-रंगीन चिप्स,  ठंढ सहिष्णुता, रोगों के लिए संयुक्त-प्रतिरोधता इत्यादि गुण शामिल हैं।

पंजीकृत जर्मप्लाज्म

प्रमुख विशेषताएँ

ईएक्स/ ए-680-16

पिछेता झुलसा प्रतिरोधी एवं एग्रोनॉमिक लक्षणों/केरेकटरस के लिए अच्छा कंबाइनर

क्यूबी/ ए-9-120

पिछेता झुलसा प्रतिरोधी एवं एग्रोनॉमिक लक्षणों  के लिए अच्छा कंबाइनर

क्यूबी/ बी-92-4

उच्च कंद शुष्क पदार्थ एवं कम अवकारक शर्करा, कंद शुष्क पदार्थ के लिए अच्छा कंबाइनर

पीएस/ एफ-220

स्टेम नेक्रोसिस प्रतिरोधी

एमपी/ 99-322

उच्च कंद शुष्क पदार्थ, कम एमिलेज (कुल स्टार्च का 27.3%), उच्च एमाइलोपेक्टिन (कुल स्टार्च का 72.7%) एवं पिछेता झुलसा प्रतिरोधी

ई/ 79-42

पुटी निमेटोड एवं पिछेता झुलसा के लिए संयुक्त प्रतिरोधी

जेडब्लू 96

शीघ्र-परिपक्वता

जेएक्स 123

शीघ्र-परिपक्वता एवं अगेता झुलसा प्रतिरोधी

जेएन 189

स्टेम नेक्रोसिस एवं लीफ-हॉपर प्रतिरोधी

जेएक्स 90

अगेता झुलसा एवं पिछेता झुलसा के लिए संयुक्त प्रतिरोधी

डी4

जेटीएच/सी107 के पराग उर्वर /प्रजननक्षम एंड्रोजेनिक डाइहेपलोइड

सी-13

कुफ़री चिपसोना-2 के पराग उर्वर /प्रजननक्षम, पिछेता झुलसा उच्च प्रतिरोधी, बौना एंड्रोजेनिक डाइहेपलोइड

एसएस 2040

फ्रॉस्ट-सहिष्णु सोलनम ट्यूबरोसम एसएसपी एंडीजीना क्लोन

एसएस 1725-22

फ्रॉस्ट-सहिष्णु सोलनम स्पेगाजिनी क्लोन

वाईवाई 6/ 3सी-11

आलू वायरस वाई चरम प्रतिरोधी ट्रिपलेक्स क्लोन

ई 1-3

डाइहेपलोइड सोलेनम ट्यूबरोसम एल (सी -13) और सोलेनम ईट्यूबरोसम का टेट्राप्लोइड, पराग उर्वर एवं आलू वायरस वाई प्रतिरोधी आंतरिक दैहिक संकर

पी 7

डाइहेपलोइड सोलेनम ट्यूबरोसम एल (सी -13) और सोलेनम पीनेटीसैक्टम का टेट्राप्लोइड, पराग उर्वर एवं पिछेता झुलसा प्रतिरोधी आंतरिक दैहिक संकर

एमपी / 97-921

प्रसंस्करण उपयुक्त, उच्च पिछेता झुलसा एवं आलू वाइरस वाई प्रतिरोधी उन्नत संकर

एसएस 1735-02

पिछेता झुलसा उच्च प्रतिरोधी एवं कम शीत प्रेरित मिठास सोलनम डेमिसम क्लोन

एसएम/ 00-120

दिन-तटस्थ व पिछेता झुलसा प्रतिरोधी उन्नत संकर

एसएस 1652-09

पिछेता झुलसा उच्च प्रतिरोधी एवं कम शीत प्रेरित मिठास सोलनम जमेसी क्लोन

वीएमटी 5-1

पिछेता झुलसा प्रतिरोधी, व्यापक अनुकूलित मेयोटिक टेट्राप्लोइड संकर

जेईक्स/ ए 785

प्रसंस्करण उपयुक्त व शीत-प्रेरित मिठास प्रतिरोधी

जेईक्स/ ए 911

बहु-रंगीन चिप्स बनाने उपयोगी

सीआरडी-6

डाइहेपलोइड सोलेनम ट्यूबरोसम एल (सी -13) और सोलेनम कार्डियोफिलम का टेट्राप्लोइड, पराग उर्वर एवं पिछेता झुलसा प्रतिरोधी आंतरिक दैहिक संकर

एमएस/ 6-1947

सूखा-सहिष्णु एवं उपज देने वाली उन्नत संकर

एमएस/ 8-1565

बैंगनी  कंद, उच्च भंडारण क्षमता एवं उपज देने वाली उन्नत संकर

एमपी/ 6-39

प्रसंस्करण उपयुक्त, उच्च भंडारण क्षमता एवं उपज देने वाली उन्नत संकर


Registered germplasm SM/00-120Registered germplasm एसएस 1735-02


Authors:

दालामु1, जी वाणीश्री2 और विनय भारद्वाज3

1भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, कुफरी, हिप्र 171012

2,3भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान,-शिमला, हिप्र 171001

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