Kitchen Garden for regular and fresh vegetables

सब्जी बगीचा मे सब्जी उत्पादन का प्रचलन प्रचीन काल से चला आ रहा है। अच्छे स्वास्थ्य के लिये दैनिक आहार मे संतुलित पोषण का होना बहुत जरूरी है। फल एवं सब्जियां इसी संतुलन को बनाये मे अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है, क्योकि ये विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत होते है।

फिर भी यह जरूरी है कि इन फल एवं सब्जियो की नियमित उपलब्धता बनी रहे इसके लिये घर के चारो तरफ उपलब्ध भूमि पर घर के साधनो जैसे- उपलब्ध भूमि मे रसोर्इ व नहाने के पानी का समुचित उपयोग करते हुये स्वयं एवं परिवार के सदस्यो की देखरेख व प्रबंधन मे स्वास्थ्यवर्धक व गुणवत्तायुक्त मनपसंद सब्जियो, फलो व फूलो का उत्पादन कर दैनिक आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

भोजन शास्त्रियो एवं वैज्ञानिको के अनुसार संतुलित भोजन के लिये एक व्यस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 85 ग्राम फल एवं 300 ग्राम सब्जियां खानी चाहिये। जिसमे लगभग 125 ग्राम हरी पत्तेदार सब्जियां, 100 ग्राम जड़ वाली सब्जियां एवं 75 ग्राम अन्य प्रकार की सब्जियो का सेवन करना चाहिये।

लेकिन वर्तमान मे इनकी उपलब्धता मात्र 145 ग्राम है। घर की बगीचा मे सब्जी उत्पन्न करना कर्इ दृष्टिकोण से लाभप्रद है जिससे परिवार के सदस्यो के स्वास्थ्य तथा ज्ञान की वृ़िद्ध होती है। इसमे जगह का चुनाव, किस्मो का चयन स्थिति के आधार पर ही सुनिश्चित करते है।

सब्जी बगीचा का आकार भूमि की उपलब्धता एवं व्यकितयो की संख्या पर निर्भर करता है। सामान्यत: 4-5 व्यकितयो वाले परिवार की पूर्ति के लिये 200- 300 वर्ग मी भूमि पर्याप्त होती है।

सब्जी बगीचा लगाने से लाभ:-

  • घर के चारो ओर खाली भूमि का सदुपयोग हो जाता है।
  • घर के व्यर्थ पानी व कूड़ा-करकट का सदुपयोग हो जाता है।
  • मनपसंद सब्जियो की प्राप्ति होती है।
  • साल भर स्वास्थ्यवर्धक, गुणवत्तायुक्त व सस्ती सब्जी, फल एवं फूल प्राप्त होते रहते है।
  • परिवार के सदस्यो का मनोरंजन व व्यायाम का अच्छा साधन है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
  • पारिवारिक व्यय मे बचत होता है।
  • सब्जी खरीदने के लिये अन्यत्र जाना नही पड़ता।

सब्जी बगीचा लगाने हेतु ध्यान देने योग्य बाते:-

  • सब्जी बगीचा के एक किनारे पर खाद का गडढा बनाये जिससे घर का कचरा, पौधो का अवशेष डाला जा सके जो बाद मे सड़कर खाद के रूप मे प्रयोग किया जा सके।
  • बगीचे की सुरक्षा के लिये कंटीले झाड़ी व तार से बाड़ (फेसिंग) लगाये, जिसमे लता वाली सबिजयां लगाये।
  • सब्जियो एवं पौधो की देखभाल एवं आने जाने के लिये छोटे-छोटे रास्ते बनाये।
  • रोपार्इ की जाने वाली सब्जियो के लिये किसी किनारे पर पौधशाला बनाये जहां पौध तैयार किया जा सके।
  • आवश्यकतानुसार सब्जियो के लिये छोटी-छोटी क्यारियां बनावे।
  • क्यारियो के सिंचार्इ हेतु नालियां बनाये।
  • फलदार वृक्षो को पशिचम दिशा की ओर एक किनारो पर लगाये जिससे छाया का प्रभाव अन्य पर ना पड़े।
  • मनोरंजन के लिये उपलब्ध भूमि के हिसाब से मुख्य मार्ग पर लान (हरियाली) लगाये।
  • फूलो को गमलो पर लगाये एवं रास्तो के किनारो पर रखे।
  • जड़ वाली सब्जियो को मेड़ो पर उगाये।
  • फसल चक्र के सिद्धांतो के अनुसार सब्जियो का चुनाव करे।
  • समय-समय पर निरार्इ-गुड़ार्इ, एवं सब्जियो, फलो व फूलो के तैयार होने पर तुड़ार्इ करते रहे।
  • सब्जियो का चयन इस प्रकार करे कि साल भर उपलब्धता बनी रहे।
  • कीटनाशको व रोगनाशक रसायनो का प्रयोग कम से कम करे यदि फिर भी उपयोग जरूरी हो तो तुड़ार्इ के पश्चात एवं कम प्रतीक्षा अवधि वाले रसायनो का प्रयोग करे।

बोने एवं पौध रोपण का समय:-

सब्जियो को मौसम के हिसाब से लगाया जाना चाहिये।

खरीफ मौसम वाली सब्जियां:-

इन्हे जून-जुलार्इ मे लगाया जाता है जैसे- लोबिया, तोरर्इ, गिल्की, भिण्डी, अरबी, करेला, लौकी, ग्ंवार, मिर्च, टमाटर आदि।

रबी मौसम वाली सब्जियां:-

इन्हे सितंबर-नवंबर मे लगाया जाता है जैसे- बैगन, टमाटर, मिर्च, आलू, मेथी प्याज, लहसुन, धनिया, पालक, गोभी, गाजर, मटर आदि।

जायद मौसम वाली सब्जियां:-

इन्हे फरवरी-मार्च मे बोया जाता है जैसे- कददूवर्गीय सब्जियां, भिण्डी आदि।

यहां फसल चक्र एवं मौसम के हिसाब से सब्जी बगीचा मे लगाने के लिये कुछ महत्वपूर्ण सब्जियो के उदाहरण सारणी के माध्यम से दिया जा रहा है जो कि सब्जी बगीचा लगाने वालो के लिये फायदेमंद साबित हो सकते है।

खरीफ

रबी

जायद

खरीफ

रबी

जायद

खरीफ

रबी

जायद

टमाटर

मेथी

खीरा

मिर्च

आलू

करेला

ग्वार

टमाटर

लौकी

भिण्डी

मिर्च

तरोई

लोबिया

बैगन

भिण्डी

गिल्की

प्याज

कद्दू

अरबी

लहसुन

तरबूज

करेला

धनिया

भिण्डी

लौकी

गोभी

ग्वार

कद्दू

पालक

बैगन

प्याज

पत्ता गोभी

लोबिया

मूली

मटर

ककड़ी


सारांश
:-

सब्जी बगीचा मे उपरोक्त सब्जियो के अलावा फल वृक्षो जैसे केला, पपीता, नीबू, अमरूद, करौंदा आदि को सामान्यत: जून-जुलार्इ एवं फूलो को मौसम के हिसाब से गमलो मे लगाये।

इसके साथ ही कुछ क्यारियो मे एक साथ दो फसले या एक फसल के बीच मे दूसरी फसल अंतवर्तीय फसलो के रूप मे लगायी जा सकती है।

इस प्रकार सब्जी बगीचा की सहायता से संतुलित पोषण को प्राप्त किया जा सकता है साथ ही अतिरिक्त उत्पादन को बेचकर लाभ कमाया जा सकता है।


Authors:

सीताराम देवांगन और घनश्याम दास साहू

उघानिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविघालय रायपुर (छ.ग.).492012

सवांदी लेखक का र्इमेल: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

New articles