जीवामृत बनाने बनाने की विधि, सामग्री और प्राकृतिक खेती में जीवामृत का उपयोग

जीवामृत, माइक्रोबियल कल्चर या जैविक तरल उर्वरक है। जीवामृत 100% जैविक है और इसका मिट्टी के स्वास्थ्य पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह दो शब्दों "जीवन"  और "अमृत"  से मिलकर बना है यानि पोधो जीवन के लिए अमृत सामान शक्ति । जीवामृत को बनाने की सामग्री गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़ और बेसन या चने का आटा  है। 10 कि.ग्रा. गोबर के साथ गोमूत्रा, गुड़ और बेसन आदि का एक एकड़ जमीन में बार-बार प्रयोग करने के पश्चात चमत्कारी परिणाम मिले हैं।

जीवामृत तैयार करना बहुत ही सरल तकनीक है। प्राकृतिक खेती में जीवामृत के उपयोग अतुलनीय हैं। खड़ी फसलों पर जीवामृत का छिड़काव महीने में कम से कम एक, दो या तीन बार करना चाहिए। इस लेख में 2 से 8 माह की सभी फसलों पर जीवामृत छिड़कने की विधि की चर्चा की गई है।

जीवामृत को बनाने की सामग्री Ingredients for Jeevamrut

1-   देशी गाय का गोबर    10 कि.ग्रा.

2-   देशी गाय का मूत्रा 8-10 लीटर

3-   गुड़   1-2 कि.ग्रा

4-   बेसन 1-2 कि.ग्रा.

5-   पानी 180 लीटर

6-   पेड़ के नीचे की मिट्टी  1 कि.ग्रा.

 

 

 जीवामृत का निर्माण विधि Jeevamrut preparation 

  • उपरोक्त सामग्रियों को प्लास्टिक के एक ड्रम में डालकर लकड़ी के एक डंडे से घोलना है और इस घोल को दो से तीन दिन तक सड़ने के लिए छाया में रख देना है।
  • प्रतिदिन दो बार सुबह-शाम घड़ी की सुई की दिशा में लकड़ी के डंडे से दो मिनट तक इसे घोलना है और जीवामृत को बोरे से ढक देना है
  • इसके सड़ने से अमोनिया, कार्बनडाईआक्साइड, मीथेन जैसी हानिकारक गैसों का निर्माण होता है।
  • गर्मी के महीने में जीवामृत बनने के बाद सात दिन तक उपयोग में लाना है और सर्दी के महीने में 8 से 15 दिन तक उसका उपयोग कर सकते हैं। उसके बाद बचा हुआ जीवामृत भूमि पर फेंक देना है।

 

जीवामृत पर एक वैज्ञानिक शोध किया गया जिसमें जीवामृत तैयार करने से 14 दिन बाद सबसे अधिक 7400 करोड़ जीवाणु, वैक्टीरिया पाए गए। इसके बाद इसकी संख्या घटनी शुरू हो गई। गुड़ और बेसन दोनों ने ही जीवाणुओं को बढ़ाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई।

गोबर, गोमूत्रा व मिट्टी के मेल से जीवाणुओं की संख्या केवल तीन लाख पाई गई। जब इनमें बेसन मिलाया गया तो इनकी संख्या बढ़कर 25 करोड़ हो गई और जब इन तीनों में बेसन की जगह गुड़ मिलाया गया तो इनकी संख्या 220 करोड़ हो गई, लेकिन जब गुड़ व बेसन दोनों ही मिलाया गया अर्थात् जीवामृत के सारे घटक गोबर, गोमूत्रा, गुड़, बेसन व मिट्टी मिला दिए गए तो आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए और जीवाणुओं की संख्या बढ़कर 7400 करोड़ हो गई। यही जीवामृत जब सिंचाई के साथ खेत में डाला जाता है तो भूमि में जीवाणुओं की संख्या अविश्वसनीय रूप से बढ़ जाती है और भूमि के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों में वृद्रि होती है।

जीवामृत को महीने में दो बार या एक बार उपलब्ध्ता के अनुसार, 200 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से सिंचाई के पानी के साथ दीजिए, इससे खेती में चमत्कार होगा।

फलों के पेड़ों के पास पेड़ की दोपहर 12 बजे जो छाया पड़ती है, उस छाया के पास प्रति पेड़ 2 से 5 लीटर जीवामृत भूमि पर महीने में एक बार या दो बार गोलाकार डालना है। जीवामृत डालते समय भूमि में नमी होना आवश्यक है।

फसलों मे जीवामृत का प्रयोग Uses of Jeevamrit

गन्ना, केला, गेहूं, ज्वार, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, चना, सूरजमुखी, कपास, अलसी, सरसों बाजरा, मिर्च, प्याज,हल्दी, अदरक, बैंगन, टमाटर, आलू, लहसुन, हरी सब्जियां, फूल, औषधियुक्त पौध, सुगन्धित पौध, आदि सभी पर 2 से लेकर 8 महीने तक जीवामृत छिड़कने की विधि इस तरह है। आप महीने में कम से कम एक बार, दो बार या तीन बार जीवामृत का छिड़काव करें।

खड़ी फसल पर जीवामृत का छिड़काव Sprinkling jeevamrut on crops

60 से 90 दिन की फसलें

पहला छिड़कावः बीज बुआई के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 100 लीटर पानी और 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़कावः पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत को मिलाकर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़कावः दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी मिलाकर छिड़काव करें।

90 से 120 दिन की फसलें

पहला छिड़कावः बीज बुआई के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 100 लीटर पानी और 50 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़कावः पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 150 लीटर पानी और 10 लीटर छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़कावः दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

चौथा और आखिरी छिड़कावः यदि दाने दूध की अवस्था में या फल बाल्यावस्था में हों तो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या 2 लीटर नारियल का पानी मिलाकर छिड़काव करें।

120 से 135 दिन की फसलें

पहला छिड़कावः बीज बुआई के एक माह बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़कावः पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 150 लीटर पानी और 10 लीटर जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़कावः दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी मिलाकर छिड़काव करें।

चौथा छिड़कावः तीसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी 20 लीटर जीवामृत में मिलाकर छिड़काव करें।

पांचवा छिड़कावः यदि दाने दूध् की अवस्था में या पफल बाल्यावस्था में हों तो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या 2 लीटर नारियल का पानी मिलाकर छिड़काव करें।

आखिरी छिड़कावः दाने दूध की अवस्था में, फल बाल्यावस्था में हों तो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या 2 लीटर नारियल का पानी मिलाकर छिड़काव करें।

165 से 180 दिन की फसलें

पहला छिड़कावः बीज बुआई के एक माह बाद प्रति एकड़ 150 लीटर पानी और 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

दूसरा छिड़कावः पहले छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 150 लीटर पानी और 10 लीटर जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

तीसरा छिड़कावः दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी मिलाकर छिड़काव करें।

चैkथा छिड़कावः तीसरे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी 20 लीटर जीवामृत में मिलाकर छिड़काव करें।

पांचवा छिड़कावः चैथे छिड़काव के 21 दिन बाद प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

आखिरी छिड़कावः यदि दाने दूध् की अवस्था में या फल बाल्यावस्था में हों तो प्रति एकड़ 200 लीटर पानी और 20 लीटर जीवामृत मिलाकर छिड़काव करें।

गन्ना, केला, पपीता की पफसल पर जीवामृत का छिड़काव

इन फसलों पर बीज बोने या रोपाई के बाद पांच महीने तक ऊपर दी गई विधि के अनुसार छिड़काव करें। उसके बाद हर 15 दिन में प्रति एकड़ 20 लीटर जीवामृत कपड़े से छानकर 200 लीटर पानी में घोल बनाकर गन्ना, केला तथा पपीते के पौधें पर छिड़काव करें।

सभी फलदार पेड़ों पर जीवामृत का छिड़काव

फलदार पौधें चाहे उनकी उम्र कोई भी हो पर महीने में दो बार जीवामृत का छिड़काव करें। जीवामृत की मात्रा 20 से 30 लीटर  कपड़े से छानकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़कना है। फल पकने से 2 महीने पहले फलदार पौधें पर नारियल का पानी 2 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके 15 दिन बाद 5 लीटर खट्टी छाछ या लस्सी 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़किये।


Authors

डा. बी.एल. मीना, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डा. गीतेष मिश्र पषुपालन विषेषज्ञ

कृषि विज्ञान केन्द्र, गुडामालानी (बाडमेर)

डा. रघुवीर सिंह मीना,  सहायक आचार्य कृषि अनुसंधान केन्द्र गंगानगर

मधु बाई मीना M.Sc. स्कोलर पौधव्याधि विभाग पूसा समस्तीपूर, बिहार

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