मधुमक्खी को पालने के विज्ञान को मधुमक्खी पालन कहते हैं I कृषि आधारित उद्यम शुरू करने के लिए मधुमक्खी पालन अति आवश्यक है I मधुमक्खी पालन को एक दिलचस्प रूचि, अतिरिक्त व्यवसाय तथा पराग प्रवंधन से जोड़ कर व्यावसायिक उद्यम के रूप में अपनाया जा सकता है I

मधुमक्खियों की प्रजातियाँ :

  1. छोटी मधुमक्खी (एपिस फ्लोरिया)
  2. जंगली मधुमक्खी (एपिस डौरसाटा)
  3. भारतीय मधुमक्खी (एपिस सिराना इंडिका )
  4. यूरोपियन मधुमक्खी (एपिस मेलिफेरा) हैंI

इनमें से पहली दो मधुम्क्की की प्रजातियाँ जंगली हैं जिन्हे मौनगृहों में नहीं पाला जा सकता हैI जबकि देसी भारतीय मधुमक्खी(एपिस सिराना) व् विदेशी मधुमक्खी एपिस मेलिफेरा को मौनगृहों में पाला जा सकता है I उपरोक्त बताई गई मघुम्क्खियों की किस्में विभिनन प्रकार के छते बना कर रहती हैं तथा इनकी शहद पैदा करने की क्षमता भीभिन्न हैI

मधुमक्खी की मुख्य प्रजातियाँ जिन्हें पाला जा सकता है :

एपिस सिराना इंडिका:

मधुमक्खी की यह प्रजाति पालतू है एवं सर्दियों के ठन्डे तापमान, मौसम केअत्यधिक उतार चढ़ाव, लम्बी अवधि के मानसून इत्यादि जैसी कठोर जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह सकती है I छोटे पैमाने के मधुमक्खी पालन के लिए यह उचित प्रजाति है I

इस प्रजाति की मधुमक्खी कॉलोनी को जंगल से आसानी से पकड़ा जा सकता है और न्यूनतम खर्चे से साधारण लॉग या दीवार के छत्ते में रखा जा सकता है, हालाँकि व्यवसायिक मधुमक्खी पालन के लिए फ्रेम का उपयोग करना आवश्यक है Iएक कॉलोनी से एक साल में औसतन 20 किलोग्राम तक शहद लिया जा सकता है I

एपिस मेलिफेरा:

इस मधुमक्खी को यूरोपियन मधुमक्खी भी कहा जाता है Iयह आकार एवं स्वभाव में एपिस इंडिका की तरह ही होती है I लेकिन इस प्रजाति की रानी मक्खी की अंडे देने की क्षमता बहुत अधिक होती है I एक सवस्थ कॉलोनी में 60,000-70,000 तक मधुक्खियाँ हो सकती हैं I

नर, रानी व् कमेरी मधुमक्खियाँ अलग-अलग कोष्ठों में रहती हैं I एक कॉलोनी से एक साल में औसतन 100 किलो ग्राम तक शहद लिया जा सकता है I

मधुमक्खी पालन के लिए स्थान निर्धारण एवं प्रवंधन

  • मधुमक्खी पालन के लिए उन स्थानों का चुनाव करें जहाँ पर कि. मी. के क्षेत्र में पेड़-पौधे बहुतायत में हों , जिनमे पराग एवं मकरन्द वर्ष भर मिल सके I
  • मधुमक्खी पालन के लिए चुने गये स्थान पर सुबह एवं शाम के समय पर्याप्त धुप और दोपहर के समय छाया रहेI
  • तेज हवाओं का मधुमक्खी पालन के स्थान पर सीधा प्रभाव नहीं होना चाहियेI यदि स्थान पर छायादार पेड़ नही हैं तो वह पर अप्राकृतिक रूप से छायादार स्थान बनाना चाहिएI
  • पौधों में फूल आने के दोरान कीटनाशकों का प्रयोग न करें I
  • मधुमक्खी पालन का स्थान मुख्य सड़क से थोड़ा दूरी पर होना चाहिए I भूमि समतल एवं पानी का निकास उचित होना चाहिएI उस स्थान के पास में बहता हुआ साफ़ पानी मधुमक्खी पालन के लिए अति आवश्यक है I
  • मधुमक्खी पालन के स्थान के चारों तरफ तारबंदी या हेज लगाकर अवांछनीय आवागमन को रोका जाना चाहिएI मधुमक्खी पालन के लिए चुने गये स्थान परवाहन एवं संचार सुविधायों की पहुँच होनी चाहिए I
  • मौनालय में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 10 फुट तथा बक्से से बक्से की दूरी 3 फुट रखेंI बक्सों को पंक्ति में बिखरे रूप में रखना चाहिए I एक स्थान पर 50-100 बक्से रखे जा सकते हैं I

मधुमक्खी पालन की शुरुआत कैसे करें ?

मान्यता प्राप्त संस्था/संस्थान से परीक्षण लेकर 10-15 कॉलोनी से शुरुआत की जा सकती है I मधुमक्खी पालन का डिब्बा  12 इंच चौड़ा और 22 इंच लम्बा होता है I इसके एक बक्से में  10 फ्रेम होते हैं I

मधुमक्खी पालन कब करें ?

आमतौर पर साल भर मधुमक्खी पालन किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जनवरी से मार्च का समय काफी उपयुक्त मन गया है I वहीं नवम्बर से फरवरी का समय व्यवसाय के लिए फायदेमंद होताहैI मधुमक्खी पालन उपयुक्त फूलों की लगातार उपलब्धि होने पर करें, ताकि मकरंद एवं पराग प्रचुर मात्रा में उपलव्ध हो I

मधुमक्खी कॉलोनी का निरिक्षण

मधुमक्खी पालन का मौनालय (एपायरी) में स्थापित करने से पहले देख लेना चाहिए कि लकड़ी से बने बॉक्स, चौखट, सुपर के माप व् आकार सही है या नही I किसी प्रकार के छेद व् दरारें नहीं होने चाहिए I एसा करने से शिशु कक्ष एवं मधु कक्ष में आदान प्रदान करने में परेशानी नही आती है  तथा विपरीत मौसम में मधुमक्खी कार्य में आसानी रहती है I

मौनालय में कॉलोनियों के निरीक्षण के समय नीचे दर्शाए गये उपकरणों कीआवश्यकता पड़ती है:

बी वेल     

स्मोकर                                          

 हाइव टूल

ब्रश  

अनकैपिंग चाकू

  दस्ताने

निरिक्षण के पहले नीचे दी गई सामान्य सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए I

  • कॉलोनी खोलने से पहले चेहरे पर बी-वेल लगा लें I
  • काले अथवा गहरे रंग के कपड़ों को नही पहनेंI
  • सुगन्धिततेल या अन्य रसायनों का उपयोग न करेंI
  • कॉलोनी का निरिक्षण बहुत तेजी या झटकों के साथ न करें I
  • रानी मधुमक्खी की फ्रेम का निरिक्षण ध्यान से करें I
  • खराब मौसम जैसे तेज हवा, अधिक सर्दी इत्यादि पर कॉलोनी न खोलें I

मधुमक्खी से प्राप्त उत्पाद

मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया गया शहद एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जिसेऔषधि के रूप में प्रयोग किया जाता हैI शहद के अतिरिक्त मधुमक्खियों से हमें मोम, प्रोपोलिस, रॉयल जेली इत्यादि भी प्राप्त होते हैं I

BEE PRODUCTS

 

मधुमक्खी पालन के फायदे :

  • परागण सहायता के माध्यम से विभिन्न फसलों जैसे फल, सब्जियां, दालें, तिलहन आदि की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाता है।
  • कृषि और पर्यावरण के सतत विकास में मदद करता है।
  • जैव-विविधता को बनाए रखने में मदद करता है।
  • शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन के माध्यम से मधुमक्खी पालकों/किसानों/भूमिहीन
  • श्रमिकों आदि की आय में वृद्धि; मधुमक्खी का मोम, प्रोपोलिस, पराग, रॉयल जेली, मधुमक्खी का जहर, कंघी शहद आदि जिनका मानव जीवन में बहुत महत्व है।
  • रोजगार उत्पन्न करता है।
  • आजीविका के स्रोत के रूप में कार्य करता है।

Authors:

मंजू देवी

कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री थुनाग मंडी,

डॉक्टर यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री नौणी, सोलन एच.पी.

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