ताजे एवं पौष्टिक सब्जीयों का बेहतर विकल्प: गृह वाटिका 

आधुनिक युग में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हुए हैं। सभी लोग रोजाना के भोजन में पौष्टिक एवं ताजी सब्जियों को अधिक महत्व देने लगे हैं। इसके लिए गृह वाटिका एकमात्र ऐसा विकल्प है जिससे परिवार के लिए ताजी एवं पौष्टिक सब्जियाेे को वर्ष भर उगाया जा सकता है।

गृह वाटिका से ना सिर्फ सब्जियां उपलब्ध होती हैं अपितु घर की शोभा भी बढ़ती है तथा लोगों में सब्जी उगाने की कला का भी सृजन होता है। नगरो एवं महानगरों में जमीन की कमी होने के कारण छत या छज्जे ऊपर गमलों में भी सब्जियां उगाई जा सकती हैं।

गृह वाटिका से लाभ 

गृह वाटिका तैयार करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पूरे परिवार को वर्ष भर विशैले कीटनाशी रसायनों से मुक्त हरी सब्जियां मिलती रहती हैं। यद्यपि सब्जियों के सफल उत्पादन हेतु कीटनाशक दवाओं का उपयोग आवश्यक है परंतु विषैले कीटनाशक रसायनों के स्थान पर वानस्पतिक स्रोतों जैसे नीम की पत्ती, नीम की फली, लहसुन,  तंबाकू आदि से बने कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करके रासायनिक विकार मुक्त सब्जी उत्पादित कर सकते हैं।

प्राय:पत्ती वाली सब्जियों को अधिक देर तक भंडारी नहीं किया जा सकता और उनको ताजी अवस्था में खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। पत्ती वाली सब्जियों एवं ऐसी दुर्लभ या अल्प प्रचलित सब्जियों की आपूर्ति गृह वाटिका के माध्यम से आसानी पूर्वक की जा सकती है।

गृह वाटिका की योजना

गृह वाटिका की योजना परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर निर्भर करती है। पांच से छह सदस्यों की एक परिवार के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि वर्ष भर सब्जियों की उपलब्धता हेतु पर्याप्त होती है।

गृह वाटिका में किनारे पीछे की तरफ छोटे फल वृक्ष जैसे केला, पपीता, सहजन, करौंदा, मीठी नीम आदि के पौधे लगाना अच्छा रहता है क्योंकि इन पौधों की बहुत अधिक देख रेख की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अतिरिक्त गृह वाटिका में उपलब्ध स्थान का उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है:

  • मचान बनाकर बहुवर्गीय सब्जियां उगाई जा सकती हैं जैसे परवल, कुंदरु आदि।
  • छाया वाले स्थान पर सूरन एवं हल्दी सुगमता पूर्वक उगाई जा सकती है।
  • गृह वाटिका में क्यारियों के मेड़ों पर जड़ वाली सब्जियां जैसे मूली, गाजर, चुकंदर, शलजम आदि उगाया जा सकता है।
  • गृह वाटिका में लगे प्रमुख सब्जियों के बीच खाली स्थान में कोई दूसरी सब्जी को अंतरा सहफसल के रूप में उगा कर प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। मौसम के अनुसार कुछ सब्जियों का फसल क्रम निम्न प्रकार है:

मौसम के अनुसार सब्जियों का फसल क्रम

मौसम

फसल क्रम

शीतकालीन

बैंगन-पालक, आलू-मूली, आलू, पत्ता गोभी-बैगन, मेथी, बैंगन-मिर्ची, मिर्ची-सरसों साग, टमाटर, मटर, धनिया, फूल गोभी

ग्रीष्मकालीन

भिंडी, चौलाई, नेनुआ,तोरई,लोबिया

वर्षा कालीन

चौलाई, भिंडी, अरबी

 गृह वाटिका का रेखांकन स्थान का आकार सदस्यों की पसंद भूमि जलवायु सिंचाई के साधन सब्जियों के प्रकार एवं किस्मों के चयन के आधार पर निर्भर करता है। जहां तक संभव हो सके वाटिका में क्यारियो की चौड़ाई कम व लंबाई अधिक रखें।

गृह वाटिका के लिए सामान्य उपकरण

गृह वाटिका बनाने एवं पौधों की निराई गुड़ाई करने के लिए कुछ छोटे बड़े कृषि उपकरणों को रखना आवश्यक होता है। इनमें खुरपी,हँसिया,हैंड हो, फावड़ा, कुदाल, हजारा दवा छिड़कने की मशीन, चाकू इत्यादि आते हैं।

गृह वाटिका में पोषक तत्व प्रबंधन:

गृह वाटिका के लिए खाद गृह वाटिका में सब्जियों को उगाने के लिए कार्बनिक खादों का प्रयोग करना अच्छा माना जाता है। यदि वाटिका के पीछे एक कंपोस्ट खाद का गड्ढा तैयार कर लिया जाए और उसमे घर से निकलने वाले कचरे सब्जियों के छिलके तथा अन्य जैव विघटनशील वस्तुओं को डालकर खाद तैयार की जाए तो अच्छी मात्रा में सब्जी उगाने के लिए खाद मिल सकता है।

इसके अलावा बाहर से कुछ खाद एवं खलियॉ भी उपयोग में ला सकते हैं जैसे सड़ी हुई गोबर की खाद, नीम की खली, अरंडी की खली, मुर्गी की खाद इत्यादि।

उपरोक्त खाद एवं खलियों के अतिरिक्त वर्मी कंपोस्ट का भी प्रयोग किया जा सकता है। यह केचुए के द्वारा तैयार की जाती है। इसमें फसल के लिए आवश्यक नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश के अतिरिक्त अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलते हैं। इसके प्रयोग से मृदा में नत्रजन संचित करने वाले जीवाणुओं की संख्या में भी वृद्धि होती है।

गृह वाटिका में सब्जियों को लगाने का समय:-

गृह वाटिका में सब्जियों को लगाने की ऐसी योजना तैयार करनी चाहिए जिससे उनकी वर्षभर उपलब्धता बनी रहे। मौसम के अनुसार सब्जियों का चयन करना बहुत ही आवश्यक है। 

सब्जीयाँ

माह

टमाटर

जुलाई-अगस्त एवं फरवरी-मार्च 

बैगन

जुलाई-अगस्त

मिर्च

अगस्त-सितम्बर

लोबिया, चौलाई, धनियाँ

मार्च-अप्रैल एवं जुलाई-अगस्त

आलू, परवल

अक्टूबर-नवम्बर 

फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली

सितम्बर-नवम्बर

मूली

वर्षभर

लौकी, खीरा, कुम्हड़ा, करेला, तोरई, भिंडी,

फरवरी-मार्च, जून-जुलाई

गाजर, चुकंदर, शलजम,धनियाँ

सितम्बर-अक्टूबर

पालक, मेथी, सब्जी मटर, सरसों साग

अक्टूबर-नवम्बर

ग्वार, तोरई

जून-जुलाई

 

गृह वाटिका स्थापित करने हेतु ध्यान देने योग्य बातें

  1. मौसम के अनुसार ही सब्जियों का चयन करें।
  2. बीज सदैव विश्वसनीय एवं पंजीकृत संस्था से ही क्रय करें।
  3. आवश्यकता के अनुसार विशेषगुणवाली प्रजातियों का चयन करें।
  4. वाटिका में सदैव अगेती एवं कम अवधि में तैयार होने वाली प्रजातियों का ही चयन करें।
  5. प्रतिकूल मौसम वाली सब्जियों की पौधशाला तैयार करके लगाना उचित रहता है।
  6. बीज को बोने से पहले कवकनाशी रसायन से अवश्य शोधित कर लें।
  7. वाटिका में ज्यादा से ज्यादा कार्बनिक एवं जैविक खादों का उपयोग करें।
  8. वाटिका में खरपतवार नाशी तथाविशैले कीटनाशक रसायनों के प्रयोग से बचें।
  9. मौसम के अनुकूल फसल चक्र जरूर अपनाएं।

Authors:

निशा कान्त मौर्य1डा. गुलाब चन्द यादव2, सचि गुप्ताएवं  महेन्द्र कुमार यादव4,

1शोध छात्र, सब्जी विज्ञान, 2सहप्राध्यापक एवं सब्जी प्रजनक, सब्जी विज्ञान विभाग, 3शोध छात्रा, उद्यान विज्ञान

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या- 224229 (उ.प्र.)

4शोध छात्र, सब्जी विज्ञान, चंद्रशेखरआजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर-208002 (उ. प्र.)

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