Cultivation of CapsicumScientific cultivation of capsicum.

किसान भाई शिमला मिर्च की खेती करके लाखों कमा सकते हैं । शिमला मिर्च की उन्नतशील किस्मों की खेती की जाए तो किसानों को करीब-करीब 30 से 50 क्विंटल प्रति एकड़ फसल की प्राप्ति हो सकती है ।

शिमला मिर्च की खेती हरियाणा, पंजाब, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक आदि प्रदेशों में अच्छी तरह से की जा सकती है । तो जानते है कैसे शिमला मिर्च की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है और कैसे आप इसे लाभदायक व्यवसाय बना सकते हैं |

शिमला मिर्च की खेती एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप दो से चार महीने में अच्छा लाभ  कमा  सकते हैं । अगर  आप सही तरीके से शिमला मिर्च की उन्नत खेती करते हैं तो आपको चार महीने में बहुत अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है

। शिमला मिर्च की खेती कम पूँजी की आवश्यकता होती है साथ ही इसकी खेती के लिए हमारे देश की जलवायु तथा माँग बहुत अच्छी है ।

भूमि का चयन 

आप जब भी इसकी खेती करने जा रहे हों तो सबसे पहले आपको उचित भूमि का चयन करना होगा ताकि अच्छी पैदावार हो । शिमला मिर्च  की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास का अच्छा प्रबंध किया गया हो, उसे हीं सबसे अच्छा माना जाता है ।

इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच 6 से 6.5 होना चाहिए। इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी में भी शिमला मिर्च की खेती को किया जा सकता है, लेकिन तब जब मिट्टी में अधिक खाद व उसके पौधे का समय समय से सिंचाई का प्रबंधन अच्छे से किया गया हो ।

जलवायु

शिमला मिर्च की खेती के लिए नर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है । शिमला मिर्च के फसल की अच्छी प्राप्ति हेतु और इसकी अच्छी वृद्धि हेतु कम से कम 21 से 250 C तक का तापमान  अच्छा रहता है।

ज्यादा पाला गिरने से शिमला मिर्च की फसल को नुकसान हो सकता है। ठंड के समय शिमला मिर्च के पौधों पर फूल कम लगते है, इसके फलो का आकार भी छोटा और टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है ।

उन्नत किस्में

शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों का नाम कुछ इस प्रकार से है : अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, कैलिफोर्निया वंडर, योलो वंडर, ऐश्वर्या, अलंकार, हरी रानी, पूसा दिप्ती, ग्रीन गोल्ड आदि ।

खाद प्रबंधन 

शिमला मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी करते समय खेत में करीब 25 टन गोबर की सड़ी हुई खाद मिला देनी चाहिए । उसके बाद पौधों की रोपाई के समय 60 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फास्फोरस और लगभग 60 किग्रा पोटाश को डाला जाता है।

60 किग्रा नत्रजन को आधा-आधा कर के दो बार मे में डाला जाता है एक पौधों की रोपाई के समय और फिर दूसरा उसके 55 दिनों बाद ।

बीज बोने का समय एवं बीजोपचार 

शिमला मिर्च के बीज को साल में तीन बार बोया जा सकता है पहले जून से जुलाई तक, द्वितीय अगस्त से सितम्बर और तृतीय नवम्बर से दिसम्बर तक। शिमला मिर्च के बीजों की बुआई क्यारियों में करने से पूर्व उसे 2.5 ग्रा थाइरम या बाविस्टिन से उपचारित करके ही बोना चाहिए।

बीज बोने समय प्रत्येक कतार की दूरी 10 सेमी होनी चाहिए । बीज को कम से कम 1 सेमी गहरी नाली बनाकर उसमे बोया जाता है । जब बीज की बुआई पूरी हो जाये तो उसके बाद उसे गोबर की खाद और मिट्टी से ढक कर उसकी हल्की सिंचाई कर दें । 

पौध रोपण का समय और विधि 

शिमला मिर्च के बीज को बोने के बाद जब उससे पौधा निकल आएं तो फिर उस पौधे को खेत में रोपा जाता है । पौधे को रोपने का समय जुलाई से अगस्त, सितम्बर से अक्टूबर और दिसम्बर से जनवरी तक होता है । लगभग 15 सेमी लम्बा और 3-4 पत्तियों वाले पौधे को रोपने के प्रयोग में लाया जाता है।

शिमला मिर्च के पौधे को शाम के समय रोपा जाता है। पौधों से पौधों की दूरी 60-45 सेमी की होनी चाहिए। पौधे को रोपने से पहले उसके जड़ को एक लीटर पानी में 1 ग्रा बाविस्टिन को घोल कर उसमें डुबो कर आधा घंटा के लिए छोड़ दें ।

सिंचाई प्रबंधन 

पौधे को रोपने के फ़ौरन बाद ही खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए । शिमला मिर्च की खेती में कम सिंचाई या फिर जरुरत से ज्यादा सिंचाई कर देने से उसके फलो को हानि पहुंच सकती है । गर्मी में 1 सप्ताह और ठंड में 10 से 15 दिनों  के अंतराल पर खेत की सिंचाई करनी चाहिए।

बरसात में अगर खेत में पानी जमने लगे तो पानी के निकालने का जल्द से जल्द प्रबंध करे ।

निराईगुड़ाई 

पहली निराई-गुड़ाई पौधे को रोपने के 25 दिन बाद और दूसरी निराई गुड़ाई कम से कम 45 दिन बाद कर के खरपतवार को साफ़ कर देना चाहिए । पौधे को रोपने के ठीक 30 दिन बाद उस पर दोबारा मिट्टी चढ़ा दी जाती है ताकि पौधे मजबूत रहें और गिरें नहीं ।

रोग व कीट नियंत्रण 

शिमला मिर्च में लगने वाले कीटों का नाम कुछ इस प्रकार है :

  • माहूँ,
  • थ्रिप्स,
  • सफेद मक्खी और
  • मकडी‌ ।

ऊपर दिए गए सभी कीटों से बचने के लिए लगभग 1 लीटर पानी में डायमेथोएट या मेलाथियान का घोल तैयार कर हर 15 दिन के अंतराल पर 2 बार छिड़काव करें ।

अन्य रोग

शिमला मिर्च में लगने वाले रोगों का नाम कुछ इस तरह से है :

आर्द्रगलन रोग – यह रोग नर्सरी अवस्था में ही लगता है इसलिए रोग से बचने के लिए बीज बुआई के समय बीजो का उपचार किया जाना चाहिए ।

भभूतिया रोग– यह रोग अधिकतर गर्मी में लगता है । इस रोग से पत्तियों पर सफेद चूर्ण जैसे धब्बे  पड़ जाते है उसके बाद पत्तियां पीली हो कर सूखने लगती हैं । इससे बचने के लिए 0.2% के घोल को हर 15 दिन के अंतराल पर कम से कम 3 बार छिड़काव करना होगा ।

जीवाणु उकठा – इस रोग से फसल मुरझाकर सूखने लगती है । इस रोग से बचने के लिए पौधों की रोपाई से पूर्व ही लगभग 15 किग्रा ब्लीचिंग पाउडर को प्रति हेक्टर की दर से भूमि में मिला देना चाहिए ।

पर्ण कुंचन – इस रोग के प्रकोप से पत्ते सिकुड़ कर छोटे हो जाते हैं साथ ही इसके पत्ते हरे रंग से भूरे रंग के हो जाते हैं । इस रोग की रोकथाम हेतु बुवाई से पूर्व लगभग 10 ग्रा कार्बोफ्यूरान-3जी को प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भूमि में मिला दें।

उसके बाद पौधे को रोपने के लगभग 20 दिन बाद डाइमिथोएट 30 ई.सी. को 1 मिली पानी में घोल कर उसका छिड़काव करना चाहिए । इसका छिड़काव हर 15 दिन के मध्यान्तर पर करते रहना चाहिए ।

श्यामवर्ण – रोग से पत्तियों पर काले धब्बे होने लगते हैं और फिर आहिस्ता आहिस्ता इसकी शाखाएं भी सूखने लगती हैं । इस रोग से प्रभावित फल भी झड़ने लगते हैं । इससे बचने के लिए उपचारित किए हुए बीजों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए । इसके अलावा 0.2% मेन्कोजेब या फिर डायफोल्टान का घोल बनाकर हर 20 दिन के अंतराल पर 2 बार छिड़काव करना चाहिए ।

फलों की तुड़ाई 

पौधों को रोपने के ठीक 60 से 70 दिनों बाद शिमला मिर्च के फल तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं । इसके फलों की तुड़ाई लगभग 100 से 120 दिनों तक चलती रहती है ।

बाजार भाव

वैसे तो बाजार में शिमला मिर्च के दाम कम-ज्यादा होते रहते हैं परंतु अधिकांशत: 40 रु से लेकर 120 रु प्रति किग्रा तक भी बिकती है ।  बड़े शहरों मे तो 80 रु से 150 रु प्रति किग्रा तक की बिक्री हो जाती है । अगर व्यावसायक रूप में इसकी खेती की है तो इसे सीधे सब्जी मंडी में भी बेचा जा सकता है । जहाँ 30 रु से 60 रु प्रति किग्रा तक का भाव मिल जाता है ।

सामग्री प्रथम वर्ष व्यय द्वितीय वर्ष व्यय
बीज रु 1,000.00 रु 1,000.00
नर्सरी बनाना रु 30,000.00 रु 20,000.00
ग्रीन हाउस संरचना रु 1,50,000.00 रु 0.00
खाद एवं उर्वरक रु 10,000.00 रु 10,000.00
सिंचाई रु 1,00,000.00 रु 0.00
श्रम लागत रु 35,000.00 रु 35,000.00
खेत की तैयारी रु 50,000.00 रु 10,000.00
अन्य खर्च रु 50,000.00 रु 15,000.00
कुल लागत रु 4,26,000.00 रु 91,000.00

 

उत्पादन (किग्रा) बिक्री दर कुल बिक्री
15,000  किग्रा रु 50.00 रु 7,50,000.00

शुद्ध लाभ = रु 3,24,000.00

अगर आपके पास एक एकड़ भूमि है तो आप उन्नत खेती करके एक वर्ष में 3 से 3.50 लाख रुपये तक कमा सकते हैं । अगर मान भी लिया जाये की पहले साल में उतना लाभ नहीं हुआ तो कम से कम आप 2 से 2.50 लाख तो कमा ही सकते हैं और दूसरे वर्ष कम से कम 4 से 5 लाख आसानी से शिमला मिर्च की खेती करते हुए कमा ही सकते हैं ।

 


Authors

डा. राम सिंह सुमन

वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रसार शिक्षा विभाग

भाकृअनुप – भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर (उ.प्र.)

ईमेल : This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

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