Spirulina (Arthro spira platensis) cultivation for low investment and high income

स्पिरोलिना (ऑरथो स्पाइरा प्लैटेंसिस), एक नील हरि‍त शैवाल (Blue green algae) है। यह एक पौष्टिक प्रोटीन आहार पूरक है और इसका उपयोग कई दवाओं के निर्माण और सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। इसमें  प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट्स, कई विटामिन और खनिज प्रचूर मात्रा पाए जाते है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए यह एक सूपर फूड के रूप में जाना जाता है।

कृषि में बढती लागत व कम रि‍टर्न के कारण कि‍सान की आय में नि‍रंतर गि‍रावट आ रही है। कि‍सान की आय को बढाने के लि‍ए स्‍पाईरूलि‍ना की खेती में बहुत संभावनाऐ नजर आती है। आजकल एक किलो सूखे स्पिर्युलिन पाउडर (Dry spirulina powder) का बाजार मुल्‍य लगभग 1000 रुपये के आसपास है। अत: स्पिरोलिना की खेती से कि‍सान कम निवेश करके, नियमित फसलों की तुलना में, अच्छी आय पा सकते है।

स्पाइरुलिना की व्यावसायिक स्तर खेती, धीरे-धीरे भारत के कई हि‍स्‍सो में, विशेषकर तमिलनाडु में होने लगी है। भारत में मानसून अनि‍श्‍चि‍तता तथा फसल उत्‍पादो की बि‍क्री से जुडी समस्‍याओं के कारण भी कि‍सानो का रूझान स्‍पि‍रोलि‍ना की खेती की ओर जा रहा है क्‍योकि‍ स्‍पि‍रोलि‍ना के लि‍ए नि‍श्‍चि‍त बाजार है तथा ये नि‍यमि‍त आय देने वाली फसल है।

स्पाइरुलिना का उत्‍पादन

हालाकि‍ स्पाइरुलिना किसी भी सुविधाजनक आकार के सीमेंट या प्लास्टिक के टैंकों में उगाया जा सकता है परन्‍तु 10 x 5 x 1.5 फीट टैंक का आकार का टैंक उपयुक्‍त होता है। इसे उगाने के लि‍ए 1000 लीटर पानी को टैंक में करीब एक से दो फीट की ऊंचाई तक भरना चाहिए।  

स्पाइरुलिना उगाने के लि‍ए गर्म मौसम की आवश्‍यकता होती है। 25 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्पायरुलीना शैवाल अच्छी तरह से बढ़ती है। सर्दी में टैंक के पानी को हीटर से भी गर्म कि‍या जा सकता है।

स्‍पाइरूलि‍ना उगाने के लि‍ए बीज या मदरकल्‍चर की आवश्‍यकता होती है। लगभग 1 किलोग्राम स्पार्लीलीन मदरकल्‍चर (spirulina mother culture) को 1000 लीटर पानी के टैंक में डाल दें।

इसके साथ 8 ग्राम सोडियम बायकार्बोनेट, 5 ग्राम सोडियम क्लोराइड, 0.2 ग्राम यूरिया, 0.5 ग्राम पोटेशियम सल्फेट, 0.16 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट, 0.052 मिलीलीटर फॉस्फोरिक एसिड और 0.05 मि‍ली आयरन सल्फेट (एक लीटर पानी के लिए नाप) का घोल भी डाले। स्पाइरुलिना स्‍टार्टर कि‍ट भी कि‍सी ऑग्रनि‍क स्‍टोर से खरीदी जा सकती है जि‍समे मदरकल्‍चर तथा उगाने का घोल होता है।

स्‍पपइरूलि‍ना को पौधे की तरह प्रकाश शाष्‍लेष्‍ण के लि‍ए धूप व कार्बनडाईऑक्‍साईड की आवश्‍यकता होती है

इसलि‍ए पानी में कल्‍चर व सभी चीजे मि‍लाकर, एक हफ्ते तक रोज आधे घंटे तक टैंक के पानी को, एक छड़ी की सहायता से हि‍लाना पडता है ताकि‍ स्‍पि‍रूलि‍ना फि‍लामेंट को प्रयाप्‍त धूप व कार्बनडाईआकसाईड मि‍ल सके ।

स्पालुलीना फसल कटाई प्रसंस्‍करण

10 दिनों के बाद, सर्पिलिना फसल के लिए तैयार है। शैवाल को प्लास्टिक की छोटे बाल्टी का उपयोग करके नि‍कालते है।  शैवाल को एक बर्तन पर लगी छलनी यानि ‍फिल्टर में डाला जाता है, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।

शैवाल को 2 बार फि‍रसे साफ पानी से धोया व छाना जाता है सूखे स्पिरुलीना को फिर साफ मलमल के कपड़े में लिपटा कर 50 किलोग्राम के भार के नीचे दबाकर नमी को पूरा निकाल देते है।

इसके बाद धूंप मे साफ कपडे पर, इसे नूडल बनाने की छोटी मशीन में नूडल्स के रूप बना देते है और 2-3 घंटे तक सूखने के लि‍ए छोड देते है।

अच्‍छी तरह सूखने के बाद बाद शैवाल के नूडल को आटा मशीन मे बारीक पीस लेते है और पाउडर की प्रयोगशाल में जांच करवा लेते है ताकि‍ गुणवत्‍ता मे कमी ना रहे।

इसके बाद बारीक पाऊडर को छोटे वायुरोधी प्लास्टिक थैली में पैक किया जाता है। और मार्केट मे बेचा जाता है।

लगभग 2 ग्राम स्पिर्युलिन पाउडर को ठंडे पानी, जूस या आइसक्रीम में मिलाकर उपयोग  में लाया जा सकता है।

Spirulina cultivation and processing

स्पालुलीना की खेती में कुल आमदनी

ऊपर बताई माप यानि‍ 10 x 5 x 1.5 फीट साईज के 15 टैंक में स्‍पि‍रूलीना उगाने से प्रति‍दि‍न एक टैंक से लगभग 1 किलो स्पिरुलीना काटा जा सकता हैं। सूखे स्पिर्युलिन पाउडर को 1,000 रुपये प्रति‍ कि‍लो के भाव से बेचने पर महीने में लगभग 60 हजार की आय हो जाती है। यदि‍ 5-6 लोगों की लेबर व अन्‍य खर्च नि‍काल ले तो भी 30000 का शुद्द लाभ होता है।

प्रशिक्षण - कार्यक्रम

स्पालुलीना की खेती का प्रशिक्षण प्राप्‍त करने के लि‍ए श्री के. रत्‍ना राजा सि‍हंघम से नि‍म्‍न पते पर संर्पक कि‍या जा सकता है

Programme co-ordinator, Organization for Eelam Refugees Rehabilitation (OfERR), Nallayan Research Centre for Sustainable Development,  Navallor  village, Kanchipuram district, Tamil Nadu,  email: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.,  Phone: 044-28193063 (office), mobile:  98840-00413 and  98840-00414 (farm)


Authors:

Sunil Kumar Tyagi, Rakeshwar Verma, and D.K.Joshi

Chief Technical Officer

IARI, New Delhi

Email: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. 

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