Air breathing fish (magur) seed production method

वायु श्वासीय (मागुर) मछली सिलुरिफोर्मिस वर्ग में आता है। यह मछली भारतीय मागुर (कैट फिशेष) के नाम से जाना जाता है। यहॉ मागुर की तीन प्रजाती पायी जाती है। क्लेरिअस मागुर, क्लेरिअस गरिएपिनस, क्लेरिअस मेक्रोसिफेलस (Clarias magur, C. gariepinus, C. macrocephalus), ये मछली देरेलिक्ट पानी में पायी जाती है जिसमे घुलनशील ऑक्सीजन कम और बहुत अधीक मात्रा में कार्बनडाइ-आकसाईड, मेथेन, अमोनिया पायी जाती है।

इन मछलियो मे सहायक शवसन (Accessory respiratory organ) अंग पाया जाता है इस मछलीयों कम पानी में बहुत अच्छा उत्पादन होता है। यह मछली छह से आठ माह में २०० – २५० ग्राम की हो जाती है और एक वर्ष बाद यह मछली प्रजनन के लिये तैयार हो जाती है।

Fig. वायु श्वासीय (मागुर) मछली

नर और मादा को पहचानना

नर का जनन अंग उभार और नुकीला होता है। जबकि मादा का जनन अंग गोल या अंडाकार होता है। इसके अतिरिक्त मादा का गुदा द्वार कुछ रक्त वर्ण, गोल और उभरा हुआ होता है। लेकिन नर में पतला और सफेद जैसा होता है,

प्रजनन काल में मादा का उदर उभरा हुआ रहता है। जबकि नर में उदर उभरा हुआ नही होता है। यदि परिपक्व मादा का उदर दबाव में आता है तो, जनन अंग द्वारा अंडा स्त्राव होने लगता है। जबकि परिपक्व नर का उदर दबाव में आता है तो वीर्य बाहर नही निकलता।

जननशक्ति

इस मछली का जननशक्ति बहुत ही कम होता है जननशक्ति की सीमा  १५००० – २०००० है।

प्रजनन काल

यह मछली एक वर्ष में केवल एक ही बार प्रजनन करती है  उदाहरण – जून से अगस्त अधीक प्रजनन जुलाई में होता है।

भोजन व्यव्हार 

यह मछली मांसभक्षी (carnivorous) है।

अभिभावक द्वारा देखभाल (Parental care ) 

यह मछली अभिभावक देखभाल प्रदर्शित करती है। मादा गढढे में तालाब के किनारे अंडा उत्पादन करती है, अंडा उत्पादन करने के कुछ देर बाद मादा गढढे से बाहर चली जाती है और नर उस बच्चे का देखभाल करता है। कुछ दिनों तक, अंड्डपीतकोश अवशोषण होने क बाद (fry) पौना प्राणीप्लवक की तरफ तैरना शुरू करता है।

अंडज उत्पत्तिशाला तकनीक (hatchery technology)

एक वर्ष से ज्यादा आयु वाले मछली जिसका वजन १५० ग्राम से ज्यादा हो उसको प्रजनन काल से २-३ माह पहले अलग से सिमेंट टैंक में रखा जाता है। और चारा (भोजन) के रूप में मछली का अवशेष और चावल का भूसी (चोकर) (trace fish : rice bran ) ९:१ अनुपात में दिया जाता है। चारा १० % औसतन भार से दिया जाता है, उस टैंक को साफ और disinfected और सुरक्षात्मक उपचार करना चाहिये।

प्रजनन काल के समय प्रजनक का चयन प्रजनक संग्रहक (brood stock) से करना चाहिये। मादा की कोमल और उभरा हुआ उदर होता है किन्तु नर का जननांग लम्बा और नुकीला होता है, चयन किये हुए मादा और नर को हार्मोन देने से पहले २४ घंटे तक भूखा रखते है, क्योंकि एक दिन तक भूखा रखने से आहारनली स्ट्रीपिंग (stripping) के समय ख़ाली रहता है।

हार्मोन देना (harmon administraion)

(१) अशोधित पीयूष ग्रंथि रस (crude pituitary gland extract ) एक  अकेला  मात्रा  carp pituitary @ ३० mg / kg

(२) Ovaprim - @ ०.४ ml / kg

(३) HCG (Human Coriyonik Gonadotropin) - @ ४००० IU/kg

हार्मोन  दो तरीके से दिया जाता है –

  • अंत:पेशीय (Intramuscular)
  • अंतर्गर्भाशयी (Intraperitoneal)

शुक्राणु निलंबन बनाना (preparation of sperm suspension)

मागुर में milt आसानी से stripping से नही निकलता एसलिये testes को काट करके ०.९ % saline solution में पिस कर तैयार किया जाता है। कुछ कार्यप्रणाली इस प्रकार है –

  • सबसे पहले नर मछली को sacrifce करते है decapitation द्वारा और जननांग को अलग करते है।
  • इस जननांग को mortar में रखते है जिसमे ०.९% जिसमे छारीय विलयन (Nacl solution) हो।
  • नर जननांग को कैची से कट करके उसको ओखली में पिसते है।
  • इस निलंबन का उपयोग अंडे का निषेचन (fertilization) के लिये करते है।

मादा से अंडा संग्रहण करना stripping के द्वारा

१४ – १५ घंटे हार्मोन (CPGE / OVAPRIM) देने के बाद मादा मछली का stripping करते है। मादा मछली को सबसे पहले साफ कपड़े में लेते है इस मादा मछली को साफ ओर सुखी हाथ से पकडकर इनामेल (enamel) बेसिन में रखना चाहिये, इसके बाद उदर को धीरे–धीरे उंगलियों के द्वारा दबाते (press) है।

परिपक्व अंडे ट्रे में गिरने लगता है ध्यान रहे की अंडा गन्दा न हो रक्त, मूत्र और पानी से जो मछली के शरीर में है। stripped अंडे का वजन माप करते है और कॉपी में लिख लेते है, stripped मछली को २-३ मिनट के लिये पोटैशियम परमैंग्नेट से उपचार करते है उसके बाद संग्रहण टैंक में छोड़ देते है।

निषेचन (fertilization)

मिल्ट (milt) निलंबन को अंडे में add करते है और मोर के पंख से अच्छे से मिलाते है। या धीरे-धीरे ट्रे को हिलाते है, थोड़ी मात्रा में मीठा पानी (freshwater) add करते है। और अच्छे से मिलाते है, जब मीठा पानी को मिलाया जाता है तब शुक्राणु सक्रिय और गतिशील हो जाता है, यह शुक्राणु अंडे का निषेचन कर देता है उसके बाद मीठा पानी add करते है और १-२ मिनट बाद  साफ करते है, testes का टुकड़ा और tissue को अंडे से हटाते है, निषेचित अंडे को transfer करते है incubation के लिये।

अंडे सेना (incubation)

अंडे सेने से पहले निषेचित अंडे का निषेचन दर की गणना करते है इसके लिये अंडे का प्रतिरूप (sample) लेते है, अनिषेचित और निषेचित अंडे को आसानी से पहचाना जा सकता है, निषेचित अंडे गोलाकार, चिपचिपा और टैंक का निचला सतह पर होता है जबकि अनिषेचित अंडे अपारदर्शी और फीका होता है, दिए गये प्रतिरूप (sample) से निषेचन की कुल दर की गणना करते है।

इस अंडे को मैलाकाइट ग्रीन दवा से उपचार करते है यह एक सुरक्षात्मक उपचार है, यह उपचार अंडे को incubation pool में परिवहन करने से पहले किया जाता है।

विकास और रेखाछाया (development एंड hatching)

निषेचित अंडे २५ से २६ घंटे बाद २७ से ३० डिग्री तापमान पर विकास और रेखाछाया से गुजरता है, विकास के समय १ घंटे बाद अंडे ४ कोशिका अवस्था में, ४ घंटे बाद मारूला (marula) अवस्था में, सिर और पूछ १० से ११ घंटे बाद दीखाई देता है, और भ्रूण में फडकन गति २३ घंटे में होता है।

Newly रेखाछाया (larvae) का आकार ४-५ मिलीमीटर और वजन २.८ से ३.२ मिलीग्राम का होता है, इस larvae में २ से १.५ मिलीमीटर का अंडपीतकोश पाया जाता है, जो ४ दिनों में अवशोषण हो जाता है, newly hatched भ्रूण (larvae) usually निचली सतह में आराम करती है और अंडपीतकोश अवशोषण होने क बाद गतिशील होता है और भोजन करना शुरु करता है।

कीटडिंभ पालन (larvae rearing)

मागुर का जीरा को कम पानी वाले टैंक में १० से १२ दिनों तक reared किया जाता है, प्रत्येक मीटर२  में २००० से ४००० जीरा का संग्रहण करना चाहिये, पानी में लगातार वायु संचारण (aeration) करना चाहिये और दिन में दो बार ५०% पानी को siphoned करके बाहर निकला जाता है और नया पानी मिलाया जाता है, और अपचित भोज्य पदार्थ और अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकाला जाता है।

वायवीय श्वसन हेचिंग (hatching) के १० से १२ दिनों बाद शुरु हो जाता है उसके बाद पौना तैरने के लिये ऊपर की ओर जाता है, ऊपरी सतह की ओर जाता है और वायुमंडलीय वायु को श्वसन करता है, इसलिये पानी का स्तर (८ से १० सेंटीमीटर) रखना चाहिये, यदि गहराई ज्यादा होगा तो मछली को उपरी सतह पर आकर वायुमंडलीय वायु लेने के लिये उर्जा का बहुत ज्यादा उपयोग करना पड़ता है, निचली सतह से उपरी सतह तक जाने और पुन: नीचे आने में बहुत ज्यादा तैरना पडता है, यदि मछली उपरी सतह पर जाकर वायु नही लेगा तो मछली मर भी सकता है।

water quality to be maintained in the rearing medium is as follows

घुलनशील आक्सीजन – ४.०० ppm से saturation

पानी का तापमान – २६- ३१ डिग्री सेंटीग्रट

pH – ७-८.५

कार्बनडाईआक्साइड - <१५ ppm

NH३ - <०.०५ ppm

NO२ - <०.२५ ppm

Akalinity – 90-160 ppm

Hardness – 80 -150 ppm

भोजन व्यवस्था (Feeding)

यह मछली hatching के ४ दिनों बाद भोजन शुरू करता है भोज्य पदार्थ का आकर २०-३० माइक्रान (µ) का होना चाहिये और पौना का आकार ५० से ६० माइक्रान होनी चाहिये एक सप्ताह का स्पान के लिए, Artemia nauplii को एक सप्ताह से दस दिनों के लिये खिलाना चाहिये, लगभग ५० Artemia nauplii प्रतिदिन ३-४ बार खिलाना चाहिये। पत्येक समय १०-१५ nauplii खिलाना चाहिये।

आर्तिमिया नौप्ली (Artemia nauplii) के साथ प्राणीप्लवक (zooplankton) जैसे – cladocerans, Moina भी बेहतर भोज्य पदार्थ है मागुर पौना (fry) के लिये, ७ से १० तक के पौना (fry) को tubifex worm भी भोजन के रूप में दिया जाता है। कॄत्रिम भोज्य पदार्थ जैसे अंडे का कस्टर्ड (egg custard) भी दिया जाता है।

उन्नत पौना पालन (advanced fry rearing)

१०-१२ दिन पौना (fry) को बड़ा धारक (कंटेनर) में संग्रहण करते है १००० पौना प्रत्येक मीटर वर्ग  (1000 fry/sq.m.)।

भोज्य पदार्थ में Artemia nauplii की मात्रा कम कर देना चाहिये और प्राणीप्ल्वक (zooplankton), tubifex, molluscan meat आदि खिलाना चाहिये, इस अवस्था मे लगातार वायु संचारण (aeration) की आवश्यकता नही होती है। इसमे पौना का पालन (rearing) १० से १२ या ज्यादा दिनों जब तक पौना का आकार २ से २.५ से. मी. और वजन ०.८ से १.० ग्राम ना हो जाये।

नर्सरी टैंक पालन (rearing in Nursery tank)

पालन टैंक ५० वर्ग मीटर का होना चाहियें जो सीमेंटेड या पत्थर पिचिंग होना चाहिये, पानी का स्तर २५ से ३० सेंटीमीटर होना चाहिये और तटबंध (embankment) की उचाई १ मीटर होना चाहिये जो अंगुलिका (fingerling) मछली का पलायन को रोकता है।

अंगुलिका का संग्रहण १०० से २०० प्रत्येक वर्ग मीटर की दर से करना चाहिये और १५ दिनों तक पालन किया जाता है, भोज्य पदार्थ के रूप में बारीक़ पीसा हुआ मछली या मोलस्क मांस और चावल की भूसी (१:१) ५ से १० प्रतिशत  जैवभार (बायोमास) से प्रतिदिन शाम को खिलाना चाहिये। इस समय अंगुलिका का आकर ४ से ५ सेंटीमीटर और वजन १ से २ ग्राम का होता है।

नर्सरी टैंक में पालन के लिये पानी की गुणवत्ता

pH – ७ से ८.५

गोबर खाद की मात्रा – १०००० किलोग्राम प्रत्येक एकड


Authors:

शतरूपा1 और झाम लाल2

1मत्स्य निरीक्षक, उप संचालक मछली पालन, जिला-बिलासपुर, छत्तीसगढ़

2मात्स्यिकी महाविद्यालय, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (इम्फाल), लेम्बूछेडा, त्रिपुरा-७९९२१०

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