Agricultural Drone is a modern and contemporary version of precision agriculture

ड्रोन एक मानव रहित छोटा विमान है जिसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है या यह स्वायत्त रूप से उड़ सकता है। इसमें एक जीपीएस आधारित नेविगेशन सिस्टम। कई तरह के सेंसर और एक नियंत्रक होता है। यह बैटरी आधारित ऊर्जा पर काम करता है। नियंत्रक से इसे उड़ाया और नियंत्रित किया जाता है। इस पर अंतिम उपयोग के आधार पर कई तरह के उपकरण जैसे कि कैमरा, कीटनाशक छिड़काव यंत्र आदि भी लगे होते हैं।

वर्तमान बजट में खेती में ड्रोन तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया गया है। यह भारत सरकार द्वारा कृषि की उन्नति हेतु उठाया गया एक भविष्योन्मुखी कदम है। यह तकनीक किसानों को फसलों के समुचित प्रबंधन में दक्षता और सटीकता प्रदान कर सकती है।

किसी भी ड्रोन को खरीदने या प्रयोग करने से पहले किसानों को बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के ड्रोनों, उनकी कार्यप्रणाली और विभिन्न प्रयोगों का समुचित ज्ञान होना बहुत जरुरी है। इस लेख में इन्हीं जानकारियों को सम्मिलित किया गया है।

ड्रोन क्या है और कैसे काम करता है

ड्रोन एक मानव रहित छोटा विमान है जिसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है या यह स्वायत्त रूप से उड़ सकता है इसमें एक जीपीएस आधारित नेविगेशन सिस्टम, कई तरह के सेंसर और एक नियंत्रक होता है। यह बैटरी आधारित ऊर्जा पर काम करता है।

नियंत्रक से इसे उड़ाया और नियंत्रित किया जाता है। इस पर अंतिम उपयोग के आधार पर कई तरह के उपकरण जैसे कि कैमरा, कीटनाशक छिड़काव यंत्र आदि भी लगे होते हैं।

ड्रोन प्रौद्योगिकी के लाभ

1. उत्पादन वृद्धि

किसान ड्रोन तकनीकी द्वारा व्यापक सिंचाई योजना, फसल स्वास्थ्य की पर्याप्त निगरानी, मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी और पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति तीव्र अनुकूलन के द्वारा फसल उत्पादन की क्षमताओं में वृद्धि कर सकता है।

फसल की सटीक जानकारी होने से उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग बिना अपव्यय के कर सकता है। नियमित जानकारी होने से भविष्य की फसल योजनाओं को संशोधित करके अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

2. अधिक सुरक्षित किसान

किसान इस तकनीक से दुर्गम क्षेत्रों, पहाड़ी इलाकों और अधिक क्षेत्रफल की भूमि की प्रभावी ढंग से देख-रेख कर सकता है। यह फसलों में जहरीले कीटनाशकों के छिड़काव को अधिक सुरक्षित करता है। इससे कम कीटनाशक के प्रयोग से अधिक भूमि को आच्छादित किया जा सकता है जिससे मृदा प्रदूषण भी कम होता है।

3. संसाधनों का इष्टतम उपयोग

कृषि ड्रोन किसान को विभिन्न संसाधनों- बीज, पानी, उर्वरक, कीटनाशक का इष्टतम उपयोग करने में सक्षम बनाता है। एक खेत के सभी क्षेत्रों को एक जैसा उपचार देने की बजाय आवश्यकता अनुसार उपचार देने से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग लिया जा सकता है।

किसान तीव्रता से खेत का मुआयना करके समस्याग्रस्त क्षेत्रों जैसे संक्रमित फसलों/अस्वस्थ फसलों, मिट्टी में नमी के स्तर आदि पर ध्यान केंद्रित कर सकता है और आवश्यकता-आधारित सटीक स्थानीय परिचार कर सकता है।

4. बीमा का दावा करने में उपयोगी

किसान ड्रोन से किसी भी फसलीय नुकसान का आंकलन और सबूत दोनों इकट्ठा कर सकता है और बीमा कंपनी के पास नुकसान-भरपाई का दावा मजबूती के साथ रख सकता है। ड्रोन से प्राप्त जीपीएस आधारित सटीक और भरोसेमंद जानकारी को झुठलाना किसी भी व्यक्ति हेतु आसान नहीं रहता है।

कृषि में ड्रोन के विभिन्न उपयोगः

ड्रोन प्रौद्योगिकी पारंपरिक कृषि पद्धतियों को तीव्रता के साथ बदल रही है और उन्हें निम्नानुसार पूरा कर रही है-फसलों की बिमारियों, पोषक तत्वों की कमी और कीटों/खरपतवार की उपस्थिति का पता लगानाव्यक्तिगत रूप से फसलों के स्वास्थ्य की देखभाल करना एक कठिन और बहुत समय लेने वाला हो सकता है.

ड्रोन से नियर-इन्फ्रारेड (NIR सेंसर, मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर या सामान्यीकृत अंतर वनस्पति सूचकां; NDVI सेंसर के साथ खेत का मानचित्रण किया जाता है,

इन मानचित्रों में अंकित विभिन्न रंगों का विश्लेषण करके खेत के विभिन्न भागों में फसल के स्वास्थ्य, खरपतवार की उपस्थिति, बीमारी के प्रकोप और कीटों के संक्रमण का पता लगाया जाता है। कुछ नए ड्रोनों में इस विश्लेषण को स्वचालित सॉफ्टवेयर द्वारा खुद-ब-खुद करने की क्षमता भी होती है।

1. मिट्टी में नमी का पता लगाना और सिंचाई की योजना बनाना

ड्रोन में उपस्थित हाइपरस्पेक्ट्रल, थर्मल या मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर से उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं जो बहुत शुष्क होते हैं या जिनमें जल भराव की समस्या होती है। यह फसलों में वाष्पीकरण और फसल वाष्पोत्सर्जन की निगरानी करता है और वनस्पति सूचकांक की गणना भी करता है जिससे सिंचाई की सटीक योजना बनाई जा सकती है। इससे उपलब्ध जल को अधिकतम दक्षता के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

2. कीटनाशक और उर्वरकों का सटीक छिड़काव

ड्रोन पारंपरिक ट्रैक्टर की तुलना में कहीं अधिक सटीकता के साथ खेतों को स्कैन करके और फसलों और विभिन्न क्षेत्रों में सही मात्रा की तुरंत गणना करके कीटनाशक और उर्वरकों का तेज और किफायती छिड़काव कर सकता है। इससे जमीन की शुद्धता भी बनी रहती है और इन रसायनों के अविवेकपूर्ण प्रयोग पर रोक लगाता है,

ड्रोन केवल 15-20 मिनट में लगभग 2.5 एकड़ में कीटनाशकों/उर्वरकों को छिड़क सकते हैं। आकस्मिक कीटों के आक्रमण जैसे कि टिड्डियों के झुंड, के उन्मूलन के लिए ड्रोन का उपयोग करना एक तत्काल, प्रभावी और व्यावहारिक तरीका हो सकता है।

3. फसलीय नुकसान का आकलन और दस्तावेजीकरण

मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर और आरजीबी सेंसर के साथ लगे कृषि ड्रोन से किसान बीमा दावों के लिए फसलीय क्षति का सटीक आंकलन एवं दस्तावेजीकरण भी कर सकता है। सर्वेक्षण करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल है,

कृषि ड्रोन स्वचालित रूप से ऑनबोर्ड सेंसर और अंतर्निर्मित कैमरे का उपयोग करके तस्वीरें लेता है, और प्रत्येक चित्र लेने के बाद यह उस जगह को उस चित्र में अंकित करने के लिए जीपीएस का उपयोग करता है। इस तरह चित्रीय दस्तावेजीकरण डिजिटल प्रारूप में ड्रोन में उपस्थित मेमोरी कार्ड में जमा हो जाता है।

4. बंजर भूमि या बड़े क्षेत्र में बीजों का रोपण

बंजर या दुर्गम भूमि में बीजरोपण का कार्य दुष्कर, महंगा और समय को नष्ट करने वाला हो सकता है। कृषि ड्रोन, सेंसर तकनीक और इंटेलिजेंट सिस्टम द्वारा इस रोपण को बहुत आसान बनाते हैं। रोपण प्रणाली से लैस ड्रोन सीधे मिट्टी में बीज को लगा सकते हैं। यह कार्य ड्रोन के द्वारा सीड पॉड्स को मिट्टी में सीधा फायरिंग करके किया जाता है,

कुछ ड्रोन एक दिन में लगभग एक लाख तक बीज बो सकते हैं। इससे कृषि वानिकी को भी अप्रत्याशित लाभ मिलता है।

ड्रोन के विभिन्न प्रकार और उनकी कार्यप्रणाली

1. मल्टी-रोटर ड्रोन

यह ड्रोन का सबसे सरल रूप है जिसका बाजार में सबसे ज्यादा आधिपत्य है। इसमें एक केंद्रीय चेसिस पर 4-8 फिक्स्ड-पिच प्रोपेलर (पंखे) लगे होते हैं जो ड्रोन की गति, दिशा और ऊंचाई को नियंत्रित करते हैं। इससे खुले और संकीर्ण जगह, दोनों में अत्यधिक सटीकता के साथ उड़ान भरी जा सकती है,

मल्टीरोटर ड्रोन की फिक्स्ड-विंग ड्रोन की तुलना में, रेंज और स्पीड दोनों कम होती है। इसके रख-रखाव का वार्षिक खर्च भी अधिक होता है।

2. फिक्स्ड विंग ड्रोनः

फिक्स्ड-विंग ड्रोन में हवाई जहाज की तरह पंखों का प्रयोग करते हैं। शुरू में इसे उड़ाने के लिए बाहरी बल लगाना पड़ता है। इसलिए इस ड्रोन को सीमित कृषि कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है लेकिन यह तेज और बड़े क्षेत्र के लिए किफायती होता है,

इस ड्रोन के रखरखाव का खर्चा बहुत कम और जीवनकाल अधिक होता है। इसे भू-क्षेत्रों के मानचित्रीकरण, सर्वेक्षण और कीटनाशक के छिड़काव आदि में ही प्रयोग किया जाता है।

3. सिंगल-रोटर हेलीकॉप्टर ड्रोन

सिंगल रोटर ड्रोन डिजाइन और संरचना में वास्तविक हेलीकॉप्टरों के समान दिखते हैं। मल्टी-रोटर ड्रोन के विपरीत, सिंगल-रोटर ड्रोन में सिर्फ एक बड़े आकार का रोटर होता है और इसको नियंत्रित करने के लिए इसकी पूंछ पर एक छोटा रोटर होता है,

सिंगल रोटर ड्रोन मल्टी रोटर ड्रोन की तुलना में ज्यादा कुशल, स्थिर और अधिक उड़ान समय वाले होते हैं। लेकिन ये बहुत अधिक जटिल, महंगे और चलाने में जोखिम भरे होते हैं।

ड्रोन तकनीक का लाभ कैसे प्राप्त करें

बाजार में, कृषि ड्रोन की लोडिंग कैपेसिटी और अंतिम प्रयोग के आधार पर कीमत आमतौर पर 3-10 लाख तक हो सकती है। किसी छोटे किसान के लिए इसे खरीदना जेब पर भारी पड़ता है लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से इसे किराए पर लेकर वह इस प्रौद्योगिकी का फायदा उठा सकता है,

बड़े किसान, कस्टम हायरिंग सेंटर या कृषि संस्थान इसे वर्तमान बजट में प्रस्तावित सरकारी आर्थिक सहायता का प्रयोग करके इसे खरीद सकते हैं।


Authors:

डॉ. ब्रिजबिहारी पाण्डे1, डॉ. राम्या के. टी.1, डॉ. रत्ना कुमार पसाला1 एंव डॉ. पप्पू लाल बैरवा2

1पादप कार्यिकी, आई.सी.ए.आर.-आई.आई.अ¨.आर., राजेन्द्र नगर हैदराबाद

2उद्यानिकी महाविद्यालय, धमतरी, इं.गा.कृ.वि.वि., रायपुर

Email: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

New articles

Now online

We have 483 guests and no members online