Chief measures for Safe Seed Storage

भंडारण के दौरान बीज व अनाज  को क्षति पहुंचाने में कीट अपना अहम् किरदार निभाते हैं। भंडार कीटों की लगभग 50 प्रजातियां हैं जिनमें से करीब आधा दर्जन प्रजातियां ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भंडार कीटों में कुछ कीट आंतरिक प्राथमिक तो कुछ बाह्य (गौड़) भक्षी होते हैं।

ऐसे कीट जो स्वयं बीज को सर्वप्रथम क्षति पहुंचाने में सक्षम होते हैं वे प्राथमिक कीट कहे जाते हैं। इनमें सूंड वाली सुरसुरी, अनाज का छोटा छिद्रक प्रजातियां प्रमुख हैं। गौड़ कीट वे हैं जो बाहर रहकर भू्रण या अन्य भाग को क्षति पहुंचाते हैं। इनमें आटे का कीट, खपरा बीटल, चावल का पतंगा आदि प्रमुख हैं। 

अलग-अलग प्रकार के बीजों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट भिन्न हो सकते हैं परन्तु सामान्यतया उनको नियंत्रित करने के उपाय एक जैसे ही होते हैं। बीजों को बचाने हेतु समय-समय पर उपयुक्त उपायों को अपनाकर कीट के प्रकोप को निर्धारित सीमा के नीचे रखा जा सकता है।

वास्तव में कीट प्रबन्धन का कार्य फसल की कटाई से ही शुरू हो जाता है। इसके लिए कटाई, गहाई एवं ढुलाई में प्रयुक्त यंत्रों व साधनों को कीट मुक्त रखना चाहिए। खलिहान को भी समतल एवं साफ रखना चाहिए।

इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि फसल कटने के बाद वर्षा या अन्य कारणों से बीज व अनाज भीगे नहीं  क्योंकि भीगे हुए अनाज व बीजों में कीटों का प्रकोप अधिक होता है। भण्डारण कक्ष एवं भण्डारण पात्र को कीट मुक्त रखने हेतु समुचित उपाय करना आवश्यक होता है, जो निम्नवत् हैं।


Insect infestation in wheat grainकीटों से ग्रसित बीज

कीटों से ग्रसित बीज

Maize grain without infestationsafe stored wheat grains

कीटों से सुरक्षित बीज

भंडारण के प्रमुख उपाय :-

भंडारण से पूर्व

  • सबसे पहले बीज भंडारण के लिए प्रयोग होने वाले कमरे, गोदाम या पात्र जैसे कुठला इत्यादि के सुराखों एवं दरारों को यथोचित गीली मिट्टी या सीमेंट से भर दें।
  • यदि भंडारण कमरे या गोदाम में करना है तो उसे अच्छी तरह साफ करने के पश्चात् चार लीटर मैलाथियान या डी.डी.वी.पी. को 100 ली. पानी में (40 मि.ली. कीटनाशी एक ली. पानी में) घोलकर हर जगह छिड़काव करना चाहिए।
  • बीज रखने हेतु नई बोरियों का प्रयोग करें। यदि बोरियां पुरानी हैं तो उन्हें गर्म पानी में 50 सें. पर 15 मिनट तक भिगोएं या फिर उन्हें 40 मि.ली. मैलाथियान 50 ईसी या 40 ग्राम डेल्टामेथ्रिन 2.5 डब्लू पी (डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी की 38.0 मि.ली.) प्रति ली. पानी के घोल में 10 से 15 मिनट तक भिगोकर छाया में सुखा लें और इसके बाद उनमें बीज या अनाज भरें।
  • यदि मटके में भंडारण करना है तो पात्र में आवश्यकतानुसार उपले या गोसे डालें और उसके उपर 500 ग्रा. सूखी नीम की पत्तियां डालकर घुआं करें एवं उपर से बन्द करके वायु अवरोधी कर दें। उस पात्र को 4 से 5 घंटे बाद खोलकर ठंडा करने के पश्चात् साफ करके बीज या अनाज का भंडारण करें। यदि मटका अंदर व बाहर से एक्रीलिक (एनेमल) पेंट से पुते हों तो 20 मि.ली. मैलाथियान 50 ई.सी. को एक ली. पानी में मिलाकर बाहर छिड़काव करें एवं छाया में सुखाकर प्रयोग करें। बीज या अनाज भरने के बाद पात्र का मुंह बन्द कर वायु अवरोधी कर दें।
  • किसी भी स्थान या पात्र में बीज रखने से पूर्व बीज को अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए जिससे उसमें नमी की मात्रा 10 प्रतिशत या उससे कम रह जाए। कम नमी वाले बीजों में अधिकांश कीट नुकसान नहीं कर पाते हैं।
  • यदि भंडारण गोदाम में कर रहे हैं तो कभी भी पुराने बीज या अनाज के साथ नये बीज या अनाज को नहीं रखना चाहिए।
  • भंडारण करने से पहले यह जांच कर लेना चाहिए कि नये बीज में कीड़ा लगा है या नहीं। यदि लगा है तो भंडार गृह में रखने से पूर्व उसे एलुमिनियम फॉस्फाइड द्वारा प्रधूमित कर लेना चाहिए।
  • ऐसे बीज जिनकी बुआई अगली फसल के बीजने तक निश्चित हो, उनको कीटनाशी जैसे 6 मि.ली. मैलाथियान या 4 मि.ली. डेल्टामेथ्रिन को 500 मि.ली. पानी में घोलकर एक क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें एवं छाया में सुखाकर भण्डारण पात्र में रख लें। कीटनाशी द्वारा उपचारित इस प्रकार के बीजों को किसी रंग द्वारा रंग कर भण्डार पात्र के उपर उपचारित लिख देते हैं। इस प्रकार का उपचार कम से कम छ: माह तक काफी प्रभावी होता है। परन्तु ऐसा उपचार खाने वाले अनाज में नहीं करना चाहिए एवं उपचारित बीज को कभी भी आदमी या जानवर द्वारा नहीं खाना चाहिए।
  • बीज भरी बोरियों या थैलों को लकड़ी की चौकियों, फट्टों अथवा पोलीथीन की चादर या बाँस की चटाई पर रखना चाहिए ताकि उनमें नमी का प्रवेश न हो सके।

भंडारण के बाद

  • भंडारण के कुछ कीट फसल की कटाई से पहले खेत में ही अपना प्रकोप प्रारम्भ कर देते हैं। ये कीट फसल के दानों पर अपने अंडे देते हैं जो आसानी से भंडार गृह में पहुंचकर हानि पहुंचाते हैं। इस प्रकार के कीटों में अनाज का पतंगा प्रमुख है। ऐसे कीटों से बीजों को बचाने हेतु एलुमिनियम फॉस्फाइड की दो से तीन गोलियां (प्रत्येक 3 ग्रा.) प्रति टन बीज के हिसाब से 7 से 15 दिन के लिए प्रधूमित कर देते हैं। ऐसा प्रधूमन भण्डार में रखने के तुरंत बाद करें। प्रधूमित कक्ष खोलने के बाद जब गैस बाहर निकल जाए तो उसी दिन या अगले दिन 40 मिली मैलाथियान, 38 मि.ली. डेल्टामेथ्रिन या 15 मि.ली. बाइफेंथ्रिन प्रति ली.पानी के हिसाब से मिलाकर बोरियों के उपर छिड़काव कर देना चाहिए।
  • बीज प्रधूमित करते समय एलुमिनियम फॉस्फाइड की मात्रा 6.0 से 9.0 ग्रा. (2 से 3 गोली) प्रति टन बीज के हिसाब से आवरण प्रधूमन (कवर फ्यूमीगेशन) एवं 4.5 से 6.0 ग्राम (1.5 से 2.0 गोली) प्रति घन मीटर स्थान (स्पेस या गोदाम फ्यूमीगेशन) के हिसाब से निर्धारित करते हैं।
  • प्रधूमन करते समय ध्यान रखें कि अच्छी गुणवत्ता वाला वायुरोधी कवर ही प्रयोग करें जिसकी मोटाई 700 से 1000 गेज या 200 जी एस एम होनी चाहिए। बहुसतहीय, मल्टीक्रास लैमिनेटेड, 200 जी एस एम के कवर प्रधूमन हेतु अच्छे होते हैं।
  • ज्यादा कीट प्रकोप होने पर प्रधूमन दो बार करना चाहिए। इसमें पहले प्रधूमन के बाद कवर 7 से 10 दिन खुला रखने के बाद दूसरा प्रधूमन 7 से 10 दिन के लिये पुन: कर दें। इससे कीटों का नियंत्रण अच्छी तरह से हो जाता है।
  • भंडार गृह को 15 दिन में एक बार अवश्य देखना चाहिए। बीज में कीट की उपस्थिति, फर्श व दीवारों पर जीवित कीट दिखाई देने पर आवश्यकतानुसार कीटनाशी का छिड़काव करना चाहिए। यदि कीट का प्रकोप शुरूआती है तो 40 मि.ली. डी.डी.वी.पी. प्रति ली. पानी के हिसाब से मिलाकर बोरियों के उपर एवं अन्य स्थान पर हर जगह छिड़काव करें। कीट नियंत्रण हो जाने के बाद हर पंद्रह दिन बाद उपर लिखे कीटनाशकों को अदल-बदल कर छिड़काव करते रहना चाहिए।
  • मटके या कुठले में रखे जाने वाले बीज को पहले एलुमिनियम फॉस्फाइड की एक गोली द्वारा (एक कि.ग्रा. से आधा टन बीज) प्रधूमित करके रखें। यदि प्रधूमित नहीं किया है तो रखने के कुछ समय पश्चात उस पात्र में कीटों की उपस्थिति देख लें। अगर कीट का प्रकोप नहीं है तो दुबारा बन्द कर दे और यदि है तो बीज को एलुमिनियम फॉस्फाइड द्वारा प्रधूमित कर रखना चाहिए।

सावधानियां

  • प्रधूमन हमेशा वायुअवरोधी गोदाम, कक्ष या पात्र में ही करना चाहिए।
  • प्रधूमन के दौरान कीटनाशी को खुले हाथों से न छूएं।
  • एल्युमीनियम फॉस्फाइड का प्रधूमन हमेशा रिहायशी स्थान से दूर करना चाहिए एवं वह स्थान खुला होना चाहिए।
  • प्रधूमन हमेशा स्वयं न करके सरकार द्वारा प्रशिक्षित एवं अधिकृत व्यक्तियों द्वारा कराना चाहिए।
  • एलुमिनियम फॉस्फाइड की गोलियां गोदाम या कमरे में श्वास रोक कर, जल्दी-जल्दी डालना चाहिए एवं दूर हटकर ही श्वास लेना चाहिए या फिर अनुशंसित मास्क पहनकर करना चाहिए। खिड़कियां इत्यादि पहले से ही सील रखने चाहिए। निकलने के लिए केवल द्वार को ही खुला रखें एवं बाहर निकलकर उसे भी तुरंत सील कर दें।
  • प्रधूमन कभी भी सोने वाले कमरे या इसके समीप नहीं करना चाहिए। यही सावधानी पशुओं के लिये भी रखना चाहिए

कीट का नाम

हानिकारक अवस्था

बीज जिनको हानि होती हैं|

वयस्क

छोटा छिद्रक या घुन

व्यस्क एवं लारवा (ग्रब) दोनों

गेहूं, जौ, मक्का, धान आटा

 

सूंड वाली सुरसुरी

व्यस्क एवं लारवा दोनों

गेहूं, जौं, ज्वार, चावल, मक्का, धान

 सूंड वाली सुरसुरी

खपरा बीटल

केवल लारवा

गेहूं, मक्का, ज्वार, चावल, दालें, तिलहन

 खपरा बीटल

आटे का कीट

लारवा एवं व्यस्क दोनों

गेहूं, जौं, चावल तिलहन, मसाले के क्षतिग्रस्त बीज

 

 आटे का कीट

दालों का ढोरा

केवल लारवा

सभी दालें, मूंग, लोबिया, मटर, चना

 दालों का ढोरा

अनाज का पतंगा

लारवा ही

धान, ज्वार व मक्का जौं और गेहूं

 

 

चावल का पतंगा

लारवा ही

गेहूं, जौं, ज्वार, चावल, दालें, तिलहन, सूखे फल, मसालों व सब्जियों के बीज

 चावल का पतंगा

 


Authors

1रमेश कुमार साँप  और  2डा. वीर सिंह

1विद्यावाचस्पति, 2आचार्य एवं विभागाध्यक्ष

कीट विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय, बीकानेर, राजस्थान – 334006

Email: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

New articles