Precaution before use of pesticides

विभिन्न प्रकार की फसलों, सब्जियों, एवं फलों के पेड़ों पर कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं तथा उन कीटो को नष्ट करना आवश्यक होता है अन्यथा वे संपूर्ण फसल को खराब कर सकते हैं। इन कीटों को नष्ट करने हेतु कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल आजकल बहुतायत से किया जाता है यह कीटनाशक दवाइयां विषैले पदार्थों की श्रेणी में आती है

कीटनाशक दवा का छिड़काव करते समय कुछ सावधानियां रखना आवश्यक है जिससे कीट भी नष्ट हो जाये और उसका दुष्प्रभाव मनुष्य अथवा जानवरों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न पड़े। इन कीटनाशक दवाइयों का शरीर में प्रवेश कर जाने पर लकवा या अन्य भवकर रोग भी हो सकते हैं।

यदि यह दवाइयां भूमि पर गिर कर वही ज्यादा समय तक पड़ी रहती है तो जमीन की उपजाऊपन को यह नष्ट करती है । यही कीटनाशक वर्षा के पानी के साथ घुलकर नदी, नालों में भी चले जाते हैं जिससे जल स्रोत भी दूषित हो जाते हैं।

कीटनाशक खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • जहां तक संभव हो आई. एस. आई. मार्क वाली प्रमाणित कीटनाशक दवाइयां ही खरीदनी चाहिए जिससे धोखाधड़ी से बचा जा सके।
  • कीटनाशक के डिब्बे पर लगी प्रभावी तिथि अवश्य देख ली जानी चाहिए। प्रभावी तिथि का तात्पर्य है कि उक्त दवाई को उस तिथि के पहले ही उपयोग करना है। प्रभावी तिथि के समाप्त होने के बाद न तो इन दवाइयों की खरीद करनी चाहिए एवं न ही इनका उपयोग करना चाहिए।

इस्तेमाल से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें

  • कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव से पूर्व, उस कीटनाशी के डिब्बे पर अंकित नियमों को पढ़ लेना चाहिए, जिससे पता लग सके कि यह कीटनाशक दवाई किस किस्म की है? तथा कितनी घातक है?
  • कीटनाशक दवाइयों से उपचारित करने वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहिए उसके शरीर के किसी भी हिस्से में कोई घांव या फोड़ा नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में इन कीटनाशकों के प्रविष्ट होने का अंदेशा रहता है।
  • दवाई का छिड़काव किस समय करना है इसका निर्णय भी आवश्यक है सामान्यतः कीड़े सुबह एवं शाम के समय पेड़-पौधों पर विचरण करते हैं अतः यह समय इन कीड़ों को मारने हेतु उपयुक्त है
  • पावडर रूप में कीटनाशक का बुरकाव, सुबह एवं शाम के समय करना उचित रहता है
  • स्प्रे का छिड़काव दोपहर 12:00 से 2:00 के बीच न कर शेष समय में कभी भी कर सकते हैं। दोपहर में गर्मी अधिक होने पर पौधे वैसे ही मुरझा जाते हैं तथा ऐसे में इन कीटनाशकों के इस्तेमाल से पौधे जल सकते हैं
  • कीटनाशक दवाई की किस्म का निर्णय कीड़ों के प्रकार, फसल की किस्म तथा उसकी अवस्था पर निर्भर करता है। जैसे- रस चूसने वाले कीड़ों (चेपा, हरातेला, सफेद मक्खी) हेतु सिस्टमिक कीटनाशी प्रभावी रहते हैं जबकि आर्मी वर्म कीट नियंत्रण हेतु तुरंत मार कीटनाशक का प्रयोग उपयुक्त रहता हैं।
  • कीटनाशी दवा की मात्रा एवं प्रकार प्रत्येक फसल के लिए भिन्न भिन्न होता है अतः गलत मात्रा में दवाई का छिड़काव अप्रभावी होता है एवं यह दवाइयां बेकार हो जाती है। कीटनाशक की किस्म का चयन भी महत्वपूर्ण है कि फसल के लिए घुलनशील या दानेदार अथवा पूर्ण रूप से कौन से प्रकार का कीटनाशक उपयुक्त रहता हैं?
  • कीटनाशकों की विषाक्तता उतनी ही होनी चाहिए जिससे कीटो की रोकथाम तो हो परंतु मनुष्य एवं जानवरों पर विषाक्तता का प्रभाव ना हो।
  • सिस्टमिक कीटनाशक दवाइयों को फसल के पकने से करीब 20 से 25 दिन पूर्व उपयोग करना चाहिए लंबे समय तक असरदार रहने वाली कीटनाशक दवाइयों को फसल के समय ही काम में लेना चाहिए दवाइयों के अवशेष अधिक समय तक पौधों पर नहीं रहने चाहिए।
  • कीटनाशक दवाइयों के इस्तेमाल से पहले ही सब्जियों एवं फलदार वृक्षों के फल तोड़ लेने चाहिए।
  • कीटनाशक दवाइयों के घोल में थोड़ा साबुन का घोल या एक शैंपू डालकर मिलाना उपयुक्त रहता है। इससे दवाइयों का असर और प्रभावी हो जाता है बाजार में साबुन का घोल आसानी से उपलब्ध रहता है जिसकी 5 से 10 बूंद 12 लीटर पानी के लिए पर्याप्त होती है परंतु यदि वह उपलब्ध ना हो तो कपड़े धोने के साबुन का पानी मे इतना घोल बना लेना चाहिए जिससे पानी का रंग हल्का दूधिया हो जाए। इसी प्रकार कुछ अन्य रसायनों जैसे ट्रिटोन, सेल्वेन-99 आदि वेटिंग एजेंट का उपयोग साबुन के विकल्प के रूप में किया जा सकता है|

छिड़काव के समय ध्यान देने योग्य बातें

  • दवाई छिड़कने से पूर्व शरीर के सभी हिस्सों को ढकना आवश्यक है जैसे आंखों पर चश्मा, हाथों में रबर के दस्ताने, मुंह पर फेसमास्क (जिससे मुख भी ढक जाए एवं श्वास भी ले सके) पांवों में गमबूट आदि के अतिरिक्त सर पर टोपी या रुमाल बांध लेना चाहिए।
  • दवाई का छिड़काव करने से पूर्व, जिस यंत्र से दवाई का छिड़काव करना है उसका अवलोकन रखना चाहिए क्योंकि अगर यंत्र में रिसाव है तो प्रथम दवाई जमीन पर गिर सकती है द्वितीय समय ज्यादा लगेगा एवं तीसरा दवाई शरीर पर अथवा कपड़ों पर भी गिर सकती है|
  • दवाई का छिड़काव लगातार न करके थोड़ी-थोड़ी देर विश्राम के बाद करना लाभप्रद रहता है साथ ही कीटनाशकों के छिड़काव के मध्य किसी भी प्रकार की खाने-पीने की वस्तुएं नहीं खानी चाहिए सिगरेट भी नहीं पीनी चाहिए।
  • कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव तेज हवा में नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त छिड़काव हमेशा हवा की दिशा में ही करना चाहिए। हवा के विपरीत छिड़काव करने पर दवाई शरीर पर गिर सकती है वर्षा में अथवा वर्षा का अंदेशा होने पर भी इन दवाइयों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह वर्षा के पानी के साथ घुल कर सकती हैं जिससे दवाई बेकार हो जाएगी। आगामी मौसम की जानकारी के लिए सम्बंधित जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम वैज्ञानिक द्वारा सलाह लेकर ही कीटनाशको का प्रयोग करे जिससे नुकसान से बचा जा सके।
  • कीटनाशकों का प्रयोग करते समय शरीर के सभी भागों को ढककर एवं उचित कीटनाशक दवाइयों के नियंत्रित छिड़काव से कीटो की रोकथाम सफलतापूर्वक की जा सकती है
  • इस बारे में कृषि विज्ञान केंद्र के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक से सलाह लेना उपयोगी रहता है साथ में कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम वैज्ञानिक द्वारा कीटनाशकों के प्रयोग के सही समय की जानकारी लेना फसलो व कीट्नाशको के नुकसान को बचा सकता है।

छिड़काव करने के बाद ध्यान देने योग्य बातें

  • छिड़काव करने के बाद सभी कपड़े उतार कर साबुन से हाथ पैर धोने चाहिए तथा कपड़े भी बदलने चाहिए। कीटनाशक दवाइया यदि बच गई हो तो उन्हें लेबल लगाकर किसी सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए
  • जानवरों की पहुंच से दूर रखना चाहिए एवं खाद्य पदार्थों के साथ भी नहीं रखनी चाहिए।
  • कीटनाशक दवाइयों के खाली बर्तनों को जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर गाड़ देना चाहिए जिन बर्तनों में कीटनाशक का घोल बनाया जाए उन्हें भी अच्छी तरह साफ करना चाहिए तथा ऐसे बर्तनों को अन्य कार्यों में उपयोग नहीं लेना चाहिए।
  • विभिन्न प्रकार के कीटनाशक दवाइयों के बचे अंश को अलग अलग ही रखना चाहिए उन्हें एक साथ मिलाना नहीं चाहिए।

प्राथमिक चिकित्सा एवं प्रतिविष

  • छिड़काव के दौरान यदि असावधानीवश कोई दुर्घटना हो जाए तो उसकी तुरंत प्राथमिक चिकित्सा करानी चाहिए अगर दवा त्वचा पर लग गई हो तो साबुन लगाकर उस स्थान को कई बार धोना चाहिए अगर दवा श्वास द्वारा भीतर चली गई हो तो रोगी को खुले स्थान पर लिटाए एवं आवश्यक हो तो कृत्रिम श्वास भी दे।
  • कीटनाशक दवाई अगर पेट में चली गई हो तो रोगी को पहले उल्टी करवानी चाहिए इस हेतु मुंह में उंगली डालें अथवा नमक का पानी पिलाना चाहिए। अगर रोगी मूर्छित या बेहोश हो जाए तो उल्टी ना करा कर तुरंत डॉक्टर को बुलाना चाहिए। पेट खाली होने पर कच्चा अंडा या दूध देने के पश्चात डॉक्टर की सलाह के अनुसार प्रतिविष देना चाहिए।
  • सामान्यतः सामान्य प्रतिविष (2 भाग एक्टिवेटेड चारकोल, एक भाग मैग्नीशियमऑक्साइड एवं एक भाग टैनिक अम्ल) डाक्टर की सलाह पर प्राथमिक रूप में देना चाहिए उसके पश्चात कीटनाशक के प्रकार के आधार पर चिकित्सा की जानी चाहिए। ग्लूकोनेट 10 सीसी का इंजेक्शन लगाना चाहिए तथा यदि फिर भी आराम न मिले तो 2 ग्राम का इंजेक्शन शिरा द्वारा लगाना चाहिए। सभी प्रतिविष डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपयोग करने चाहिए।
  • दुर्घटना की स्थिति में कीटनाशक के डिब्बे को साथ ले जाकर डॉक्टर को दिखाना चाहिए जिससे वह प्रतिविष द्वारा रोगी का इलाज कर सके। 

 


  Authors:

सर्वेश बरनवाल

कृषि मौसम विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र भदोही उ.प्र.

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