Integrated pest management in gram

चने में उखटा रोग (विल्ट)
इस रोग का प्रभाव खेत मे छोटे छोटे टुकडों मे दिखाई देता है।प्रारम्भ मे पौधे की ऊपरी पतियाँमुरझा जाती हैव धीरे धीरे पूरा पौधा सुखकर मर जाता है! जड़ के पास तने को चीरकर दिखने परवाहक ऊतको मे कवक जाल धागेनुमा काले रंग की संरचनाके रूपमे दिखाई देता है।

चने में उखटा रोग

नियन्त्रण

  • फसल चक्र अपनाये।
  • रोगरोधी किस्म आर.एस.जी-888व आर.एस.जी-896की बुवाई करे।
  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी. 2 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
  • 4 किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हैक्टयरे की दर से खेत मे मिलाये।
  • खड़ी फसल मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी.0.2 प्रतिशत घोल का पौधों के जड़ क्षैत्र मे छिड़काव करे।

चने का स्केलेरोटीनिया तना सड़न

नियन्त्रण
रोग के लक्षण सबसे पहले लम्बेधब्बे के रूप मे तने पर दिखाई देते है। जिन पर कवक जाल के रूप मे दिखाई देती है! उग्र अवस्था मे तना फट जाता हैव पौधा मुरझाकर सुख जाता है!संक्रमित भाग पर काले काले गोल कवक के स्केलेरोशिया दिखाई पड़ते है

चने का स्केलेरोटीनिया तना सड़न

  • बीजों को कार्बेन्डाजिम+मेन्कौजेब (साफ) 2 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
  • खड़ी फसल मे बुवाई के 50-60 दिन बाद रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम+मेन्कौजेब 0.2% के घोल का छिड़काव करे।
  • रोगी पौधे को उखाड़कर नष्ट कर दे।

चने मे ऐस्कोकाइटा अंगमारी रोग
यह बीज व भूमि जनित रोग है, जिसका फैलाववायवीय फफूंद स्पोर पिक्निडिओस्पोर के दोबारा होता है! रोग के लक्षण फरवरी-मार्च मे दिखाई देते है। ग्रसित पौधों के तने, पतियों व फलियों पर छोटे गोल व भूरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते है।

नियन्त्रण

  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयु.पी. 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
  • खड़ी फसल मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब 75डब्लू.पी. 2ग्राम या कापर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्लयु.पी. 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।

चने का आल्टरनेरिया झुलसा रोग

यह बीज व भूमिजनित रोग है। प्रारंभ मे पौधे की नीचे की पतियों मे पीलापन दिखाई देता है। जिससे पतियाँझड़ने लग जाती है। पतियों पर पहले जलसक्ते बैंगनी रंग के धब्बे बनते है, जो बाद मे बड़े होकर भूरे रंग मे बदल जाते है। जिससे पौधा कमजोर हो जाता है व फलियाँ बहुत कम लगती है।

नियन्त्रण

  • रोगरोधी किस्म गणगौर की बुवाई करे।
  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयु.पी. 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
  • खड़ी फसल मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब 75डब्लू.पी. 2ग्राम या कापर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्लयु.पी. 3 ग्रामप्रति लीटर पानी के दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।

चने मे जड़ गलन

खड़ी फसल मे स्वस्थ पौधों के बीच संक्रमित पौधे सुखकर मर जाते है। रोगग्रस्त पौधे को उखाड़कर देखने पर जड़ व तने के जुड़ाव वाले स्थान से फफूंद की सफेद वृध्दि दिखाई देती है। 

चने मे जड़ गलन

नियन्त्रण

  • फसल चक्र अपनाये।
  • रोगरोधी किस्म आर.एस.जी-896,आर.एस.जी-888व आर.एस.जी.के-6की बुवाई करे।
  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयु.पी. 2 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
  • 4 किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर बुवाई से पहले प्रति हैक्टयरे की दर से खेत मे मिलाये.
  • खड़ी फसल मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयु.पी. का 0.2 प्रतिशत घोल का पौधों के जड़ छेत्र मे छिड़काव करे।

चने के प्रमुख कीट

चने का फली छेदक

चने का फली छेदक

  • फली छेदकके नियन्त्रण हेतु प्रारम्भिक अवस्था मे एन.पी.वी. 250एल.ई. प्रति हेक्टरकीदरसे 15-20 दिनो की अन्तराल से तीन बारउपयोग मे लेंवे।
  • खड़ी फसल मे 50 प्रतिशत फूल आने पर बी.टी. 1500मि.ली. या नीम का तेल 700 मि.ली. का प्रति हैक्टरकीदर छिड़काव करे या मिथाईल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण का 20-25 किलो प्रति हैक्टरकी दर से भुरकाव करे। 

चने का कटवर्म व दीमक

  • कटवर्म व दीमक की रोकथाम के लिये क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टरकी दर से बुवाई से पूर्व मिट्टी मे अच्छे से मिला दे।

चने का कटवर्मचने का दीमक


Authors

मोहित कुमार1महेन्द्रा1पवन कुमार1डाप्रदीप कुमार2

स्नातकोत्तर1, सहायक आचार्य2

पादप रोग विभाग, कीटविभाग

स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविधालय, बीकानेर

कृषि अनुसंधान केन्द्र, श्रीगंगानगर

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